Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य के वित्त सचिव से इस बारे में हलफनामा मांगा है कि मुआवजे की राशि कैसे तय की जाती है और किस योजना के तहत ऐसी घटनाओं में मुआवजे को मंजूरी दी जाती है, जहां सरकार की कोई भूमिका या गलती नहीं होती.


न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच कथित ‘‘सहमति’’ का उल्लेख किया, जो भूंगरा गैस सिलेंडर विस्फोट से प्रभावित लोगों के लिए विशेष पैकेज की मांग कर रहे थे. जोधपुर में शेरगढ़ संभाग के भूंगरा में आठ दिसंबर को गैस सिलेंडर फटने से आग लग गई थी. जिसमें करीब 50 लोग झुलस गए थे. इस घटना में झुलसे लोगों में से कम से कम 35 की सोमवार तक मौत हो गई.


कोर्ट ने लिया  मामले का का स्वतः संज्ञान 


मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए, न्यायाधीश ने इसे सुनवाई के लिए एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के वास्ते मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया.सहायक अटॉर्नी जनरल संदीप शाह ने कहा कि ऐसी घटनाओं में मुआवजा और नौकरी देने के वास्ते सरकार पर दबाव बनाने के लिए लोगों द्वारा ‘‘अराजकता’’ पैदा करने को लेकर अदालत ने नाखुशी जताई है, जहां सरकार की कोई भूमिका या गलती नहीं है.


भूंगरा संघर्ष समिति के बैनर तले दिया गया था धरना


संदीप शाह ने कहा, ‘‘अदालत ने पूछा है कि मुआवजा कैसे और किस खाते से दिया जाता है. मुआवजे की राशि कैसे तय की जाती है और सरकार को इसका भुगतान क्यों करना चाहिए.’’गौरतलब है कि राजपूत समुदाय के सदस्यों, उनके नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने भूंगरा संघर्ष समिति के बैनर तले धरना दिया था.


रविवार रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कथित तौर पर मृतकों के परिवारों को 17 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और एक आश्रित परिजन को सरकारी नौकरी का आश्वासन दिए जाने के बाद तीन दिन से जारी धरना समाप्त हुआ.


Rajaasthan: राजस्थान की सियासी अटकलों पर ब्रेक! बंद कमरे में राहुल गांधी ने की गहलोत-पायलट से बात, निकाला समाधान?