Jodhpur News: मिनिएचर पेंटिंग का काम करने वाले डॉ ज्योति स्वरूप शर्मा ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की साधना में लगे हुए हैं. डॉ ज्योति स्वरूप शर्मा उम्र 70 वर्ष मिनिएचर व स्वर्ण कला को नए रिसर्च वर्क के साथ जीवंत करने वाले कलाकार हैं. साथ ही जोधपुर रिमोट सेंसिंग सेंटर में वैज्ञानिक रह चुके हैं. बचपन से ही जीवंत पेंटिंग बनाने का जुनून था. उस जुनून को डॉक्टर ज्योति स्वरूप शर्मा ने साधना बना लिया उसी साधना में लगे हुए हैं.


इस साधना को पूरा करने के साथ पहले ज्योति स्वरूप शर्मा की तीनों बेटियां व एक बेटा मिलकर आगे बढ़ा रहे थे लेकिन अब डॉ ज्योति स्वरूप शर्मा ने आम लोगों को भी इसमें शामिल किया है जिससे कि जरूरतमंद युवा सीख सकें. इस विरासत को आगे आने वाले समय में भी ले जाया जा सके. युवाओं को रोजगार भी मिले डॉ शर्मा को जीवन काल में किए कामों को लेकर कई सारे राष्ट्रीय व राज्य स्तर के अवार्ड भी मिल चुके हैं.


डॉ ज्योति स्वरूप शर्मा स्वर्ण कला को कूट के चमड़े के अलावा कागज, कपड़ा, लकड़ी, लोहे पर तो कर ही रहे भित्ति चित्रों के रूप में भी मुन्नू भित्ति सुनहरी निकासी जंगली मनोवृति ट्रांस लाल चुनरी रंगा भेजी लघु चित्र जैसे कलाकृतियां भी बनाई हैं, मध्यकालीन कलाकृतियों में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसमें लाल, मोरम, गेरू, रामराज, काजल ,पतियों से विभिन्न रंगों के साथ मिलाकर 4 से 6 सप्ताह रखा हुआ इमाम दस्ते में कुटाई कर रंग तैयार करते हैं, डॉ शर्मा ने चमड़े पर सोन चित्रांकन का तकनीकी से तलवार ,सुरई, फोटो फ्रेम, फ्लावर पॉट ,चमड़े की ढाल बनाने में 5 वर्ष लगे जिस पर उन्होंने मुगल बादशाह अकबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक के चित्र उकेरे हैं खासतौर से कुरान की आयतों को भी उकेरा, उस पर अरबी भाषा में चित्रांकन कर उकेरा गया है. स्वर्ण कला की नक्काशी के साथ बनाई जाने वाली एक एक पेंटिंग बनाने में सालों लगते हैं जोधपुर से उदयपुर के राजाओं के महलों के प्राचीन भित्ति चित्रों का पुनर्निर्माण भी किया है. 




डॉ ज्योति स्वरूप शर्मा के जीवन से जुड़ा यादगार किस्सा


डॉ ज्योति स्वरूप शर्मा के जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव भी आए लेकिन उन्होंने अपनी साधना नहीं छोड़ी एक ऐसी घटना हुई जो उन्हें जीवन भर याद रहेगी. उन्होंने बताया कि प्रिंस चार्ल्स अपनी पत्नी के साथ जोधपुर घूमने आए हुए थे. प्रिंस चार्ल्स ने सारी पेंटिंग कलाकृतियां देखी और करीब 2 घंटे तक बातचीत की गई. प्रिंस चार्ल्स को मुगल काल की चित्रकारी की ढाल पसंद आ गई जिस पर मुगल साम्राज्य के कई राजाओं के चित्रांकन थे. साथ ही सोने की नकासी की हुई थी उसको देखकर उन्होंने पूछा था कि (हाउ मच) इसकी क्या कीमत है. इसको लेकर डॉ शर्मा ने साफ शब्दों में कहा कि यह हमारे देश की धरोहर है जो आने वाली पीढ़ी या देखेगी मैं इसको बेचता नहीं हूं. इस बात को लेकर प्रिंस चार्ल्स नाराज भी हो गए थे और जब वह अपने देश चले गए तो कहीं अधिकारीयो दौरे के दौरान मिले थे उन सब को थैंक्स लेटर लिखा लेकिन ज्योति स्वरूप शर्मा को किसी तरह का धन्यवाद नहीं दिया गया. 


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