Watch: गांव प्राचीन कलाओं को समेटे जोगी समाज, लोगों ने कहा- हमारी संस्कृति हमारी विरासत
Rajasthan News: राजस्थान के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोक कलाकारों की कलाओं को देखा जा सकता है. वैसे तो राजस्थान लोक कलाकारों की लोक कलाओं की विरासत का गढ़ माना जाता हैं.
Rajasthan News: देश दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहा है. इस डिजिटल युग में संसाधनों के साथ मनोरंजन के भी तौर-तरीके बदल गए हैं. इंटरनेट के इस युग में देखा जाए तो एक मोबाइल में सब कुछ सिमट कर रह गया है. आज हम बात करेंगे जोगी समाज की जो प्राचीन समय से लोक कलाकारों व लोक कलाओं की विरासत समेटा हुआ है. राजस्थान के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोक कलाकारों की कलाओं को देखा जा सकता है. वैसे तो राजस्थान लोक कलाकारों की लोक कलाओं की विरासत का गढ़ माना जाता हैं.
प्राचीन समय से कई तरह की लोक कलाओं के जरिए ही मनोरंजन किया जाता था. जब भी गांव की गवाड़ी में जोगी अपनी बीन लेकर पहुंचता था. तो छोटे बच्चे से लगाकर गांव के सभी लोग जोगी की बीन व सांपो की कलाओं को देखने के लिए उमड़ पड़ते थे. हालांकि समय बदलने के साथ ही मनोरंजन के साधन बदल रहे हैं, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र के गांवों में जोगी की प्राचीन कला देखने का चलन देखने को मिल रहा हैं. कुछ एक जगह इसको मनोरंजन का जरिया माना जाता हैं.
इन लोगों को प्राचीन कथाओं से जुड़ाव बना हुआ
सोशल मीडिया के इस युग में आज भी ऐसे कई वीडियो प्राचीन लोक कलाओं से जुड़े सामने आ रहे हैं. जो पहले मनोरंजन का साधन हुआ करते थे. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. उस वीडियो में जोगी समाज के लोगो की टोली गांव में पहुंचती है. गांव में अपनी कला दिखाना शुरू करती है जैसे-जैसे सपेरा अपनी बीन बजाता है. गांव के छोटे बच्चे सहित अन्य लोग भी इकट्ठा होना शुरू हो जाता है. छोटे बच्चों में सांप को बीन पर नाचते हुए देखने की उत्सुकता इतनी दिख रही है. कुछ लोगों का मानना है कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में टीवी और मोबाइल की सुविधा कम है उस क्षेत्र के लोगों को आज भी प्राचीन कलाओं से जुड़ाव बना हुआ है.
जोगी समाज के लोग आम लोगों का मन मोह लेते थे
सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखते हैं. हमारी संस्कृति हमारी विरासत देख आज भी हमें बहुत खुशी होती हैं, लेकिन इसके साथ जोगी को एक कहावत भी है घर का जोगी जोगड़ा यानि इस तरह की प्राचीन कलाओं की विरासत को अपने अंदर समेटे हुए हैं . इन लोगों को तवज्जो नहीं देकर दूसरे मनोरंजन के साधनों को पसंद किया जा रहा है.घर का जोगी जोगड़ा कहावत अब इस डिजिटल युग में सिद्ध होने लगी है. जोगी समाज के लोग अपनी कलाओं से आम लोगों का मन मोह लेते थे.
ग्रामीण क्षेत्र में जोगी समाज के लोगो को सम्मान दिया जाता हैं
सपेरे अपनी बीन पर सांप को नचाने थे. कालबेलिया नृत्य कर मनोरंजन किया करते थे. समय बदलने के साथ यह कला भी लुप्त होना शुरू हो गई है. हालांकि इन प्राचीन कला की विरासत को समेटे हुए जोगी समाज की कला को देश की बजाय विदेशों में अधिक पसंद किया जा रहा है. घर का जोगी जोगड़ा कहावत सिद्ध होती है. आज भी हमारे ग्रामीण क्षेत्र में जोगी समाज के लोगो को सम्मान दिया जाता हैं, लेकिन कुछ एक जोगी समाज के लोगों का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है.
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