Rajasthan Doctors on Children Behavior: उदयपुर (Udaipur) जिले के फलासिया तहसील में स्कूल के अंदर पिता ने बेटी को थप्पड़ मार दिया. इससे नाराज होकर बेटी ने आत्महत्या (Suicide) कर ली. ये अकेला मामला नहीं है, उदयपुर संभाग में सुसाइड से जुड़े केस लगातार सामने आ रहे हैं. कोई आर्थिक रूप से परेशान होकर खुदकुशी कर रहा है तो कोई पढ़ाई को लेकर. बच्चों और बड़ों की मानसिक स्थिति में हो रहे परिवर्तन, उनके बिहेवियर में क्या बदलाव आया है और कैसे इसे रोक सकते हैं इसको लेकर एबीपी न्यूज ने महाराणा भूपाल चिकित्सालय (Maharana Bhupal Hospital) के मनोरोग विभाग के चिकित्सक डॉ सुशील खेराडा (Dr Sushil Kherada) से खास बात की है.


बच्चों की आदतों पर रखना चाहिए ध्यान 
बातचीत के दौरान डॉ खेराडा ने बताया कि बच्चों की मानसिक स्थिति आनुवंशिक तो होती ही है इसके साथ ही माता-पिता, दोस्त और स्कूल के शिक्षकों के माध्यम से भी बदलती है. क्योंकि, बच्चों के सीखने के यही तीन स्त्रोत होते हैं. ऐसे में माता-पिता को हर दिन अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए कि वो क्या सीख रहा है और क्या आदतें होती जा रही हैं. फिर उन्हें पीटने के बजाय प्यार से और उनका दोस्त बनकर उन्हें समझना चाहिए. अगर बच्चा 14-17 साल का है और परेशान दिखे तो उसके दोस्तों और करीबियों से भी बात करनी चाहिए. 


2 स्थितियों में होती है आत्महत्या
डॉ खेराडा ने बताया कि 2 स्थितियों में आत्महत्या होती है. एक तो तुरंत भाव आने पर और दूसरी प्लानिंग के साथ. तुरंत भाव आने या कहें इंस्टेंट सुसाइड को रोक तो नहीं सकते लेकिन समझ जरूर सकते हैं. जैसे कि माता-पिता को देखना होगा कि बच्चा किन बातों से ज्यादा चिढ़ रहा है, किस बात पर जल्दी गुस्सा हो जाता है, कौन सी बात उसे सबसे ज्यादा अच्छी लगती है. इन्हीं के अनुसार बच्चों को ट्रीट करना चाहिए. दूसरा होता है प्लानिंग के साथ आत्महत्या, जैसे कोई बच्चा या बड़ा किसी परेशानी से गुजर रहा है तो उसमें ये जरूर देखने को मिलेगा कि वो परेशान है. ऐसे व्यक्ति को कभी अकेला ना छोड़ें, हमेशा उसके साथ रहें. उससे परेशानी के बारे में पूछे. अगर फिर भी नहीं संभल पा रहा है तो डॉक्टर के पास ले जाएं और कॉउंसलिंग कराएं.




कोरोना की वजह से बदला है बिहेवियर
डॉ खेराडा ने ये भी बताया कि कोरोना के कारण बच्चों में एडिक्शन के भी कई मामले आए हैं. लॉकडाउन में घर पर रहने के दौरान मोबाइल से ज्यादा जुड़ाव हो गया और अब जब स्कूल खुले तो उनका अलग ही बिहेवियर हो गया. ऐसे बच्चों के मामले आने पर उनके माता-पिता को बच्चों को हैंडल कैसे किया जाए इसके बारे में बताया जा रहा है.


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