Bharatpur Lok Sabha Election: देश में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. चुनाव आयोग के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. राजस्थान के भरतपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र भरतपुर और डीग जिले और एक अलवर जिले की कठूमर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता अपने वोट से सांसद को चुनते हैं.
भरतपुर लोकसभा सीट पर अधिकतर भरतपुर के पूर्व राजपरिवार का ही कब्जा रहा है. वर्ष 1989 के बाद पूर्व राजपरिवार के सदस्य ही लोकसभा का चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे है. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद भरतपुर लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया था.
वर्ष 1971 में में ये रहा था परिणाम
भरतपुर की लोकसभा सीट पर वर्ष 1971 में कांग्रेस पार्टी से राजबहादुर ने लोकसभा का चुनाव लड़ते हुए भारतीय क्रांति दल के उम्मीदवार ब्रजेन्द्र सिंह को हराया था. राजबहादुर को कुल 1 लाख 95 हजार 555 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे भारतीय क्रांति दल के उम्मीदवार राजबहादुर को कुल 1 लाख 27 हजार 992 वोट मिले थे.
वर्ष 1977 में ये हुआ रिजल्ट
वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में भरतपुर लोकसभा सीट से भारतीय लोकदल के प्रत्याशी राम किशन ने जीत दर्ज की थी. रामकिशन ने कांग्रेस प्रत्याशी राजबहादुर को हराकर जीत दर्ज की थी. राम किशन को कुल 2 लाख 56 हजार 887 वोट मिले थे तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी राजबहादुर को कुल 1 लाख 398 वोट मिले थे.
1980 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की हुई थी जीत
वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया और कांग्रेस ने वर्ष 1980 में राजेश पायलट को अपना प्रत्याशी बना कर लोकसभा चुनाव मैदान में उतार दिया. वर्ष 1980 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई थी. कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी राजेश पायलट को कुल 1 लाख 2 हजार 867 वोट मिले दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी जनता पार्टी सेक्युलर की तरफ से नत्थी सिंह के मैदान मे उतारा. नत्थी सिंह को कुल 90 हजार 608 वोट मिले थे.
वर्ष 1984 में भी यहां कांग्रेस को मिली थी जीत
वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर अपना प्रत्याशी बदल दिया. कुंवर नटवर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया. कुंवर नटवर सिंह ने लोकदल प्रत्याशी नत्थी सिंह को हराकर लोकसभा में पहुंचे. कुंवर नटवर सिंह को कुल 1 लाख 87 हजार 305 वोट मिले थे तो दूसरे नंबर पर रहे लोकदल प्रत्याशी नत्थी सिंह को कुल 1 लाख 7 हजार 996 वोट मिले थे.
वर्ष 1989 जनता दल को मिली थी जित
वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह ने जनता दल से लोकसभा के चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस प्रत्याशी राजेश पायलट को हराया था. विश्वेन्द्र सिंह को कुल 3 लाख 23 हजार 174 वोट मिले थे वही दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश पायलट को कुल 2 लाख 52 हजार 722 वोट मिले थे.
वर्ष 1991 में यहां पर बीजेपी को मिली थी जीत
वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व राजपरिवार की सदस्य कृष्णेन्द्र कौर दीपा को टिकट देकर लोकसभा की चुनावी जंग में उतारा. कृष्णेन्द्र कौर दीपा ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर जनता पार्टी के तैयब हुसैन को हराया था. कृष्णेन्द्र कौर दीपा को कुल 2 लाख 1 हजार 596 वोट मिले थे वही दूसरे नंबर पर रहे जनता पार्टी के उम्मीदवार तैयब हुसैन को कुल 1 लाख 5 हजार 840 वोट मिले थे.
वर्ष 1996 में भी बीजेपी ने फहराया था झंडा
वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने महारानी दिव्या सिंह को टिकट देकर लोकसभा के चुनाव मैदान में उतारा. महारानी दिव्या सिंह ने कांग्रेस के नेता चौधरी तैयब हुसैन को हराकर लोकसभा पहुंची थी. महारानी दिव्या सिंह को कुल 2 लाख 9 हजार 834 वोट मिले थे वही दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के चौधरी तैयब हुसैन को कुल 1 लाख 19 हजार 141 वोट मिले थे.
वर्ष 1998 में कांग्रेस ने यहां कि थी वापसी
वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर से कुंवर नटवर सिंह को टिकट देकर मैदान में उतारा था. कुंवर नटवर सिंह ने फिर जीत दर्ज की और भारतीय जनता पार्टी के डॉ. दिगम्बर सिंह को हराया था. वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में कुंवर नटवर सिंह को कुल 2 लाख 52 हजार 617 वोट मिले थे तो दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के डॉ. दिगम्बर सिंह को कुल 1 लाख 84 हजार 164 वोट मिले थे.
वर्ष 1999 राजपरिवार के सदस्य BJP से जीते थे
वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था. विश्वेंद्र सिंह कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी. विश्वेन्द्र सिंह को कुल 2 लाख 77 हजार 460 वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे जगत सिंह की कुल 1 लाख 80 हजार 442 वोट मिले थे.
वर्ष 2004 में भी विश्वेन्द्र सिंह ने यहां जिता था चुनाव
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर विश्वेन्द्र सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था तो कांग्रेस पार्टी ने वेद प्रकाश को अपना प्रत्याशी बना कर चुनाव मैदान में उतारा था. विश्वेन्द्र सिंह ने फिर कांग्रेस प्रत्याशी को हराया और लोकसभा पहुंचे. विश्वेन्द्र सिंह को कुल 3 लाख 19 हजार 904 वोट मिले थे. तो वही दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार वेद प्रकाश को कुल 2 लाख 8 हजार 555 वोट मिले थे.
वर्ष 2009 में कांग्रेस के रतन सिंह जीत दर्ज की थी
वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद भरतपुर लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भरतपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने रतन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया और रतन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के खेमचंद कोली को हराकर चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे. कांग्रेस के प्रत्याशी रतन सिंह को कुल 3 लाख 1 हजार 434 वोट मिले थे वही दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के खेमचंद कोली को कुल 2 लाख 19 हजार 980 वोट मिले थे.
वर्ष 2014 में BJP प्रत्याशी बहादुर सिंह कोली की जीत हुई थी
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बहादुर सिंह कोली को टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा था तो कांग्रेस पार्टी ने डॉ. सुरेश जाटव को अपना प्रत्याशी बनाया था. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बहादुर सिंह कोली की जीत हुई थी. बहादुर सिंह कोली को कुल 5 लाख 79 हजार 825 वोट मिले थे. तो वही दूसरे नंबर रहे कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सुरेश जाटव को कुल 3 लाख 34 हजार 357 वोट मिले थे.
वर्ष 2019 में भी BJP प्रत्याशी रंजीता कोली की जीत हुई थी
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी रंजीता कोली को बनाया था तो कांग्रेस ने अभिजीत कुमार जाटव को टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा था. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भरतपुर लोकसभा सीट पर रंजीता कोली की जीत हुई थी. रंजीता कोली ने कांग्रेस प्रत्याशी अभिजीत कुमार जाटव को हराया था. रंजीता कोली कुल 7 लाख 7 हजार 992 वोट मिले थे वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी अभिजीत कुमार को कुल 3 लाख 89 हजार 593 वोट मिले थे.
इस बार राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा
अब वर्ष 2024 के लोकसभा का चुनाव होना है लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है सभी राजनीतिक पार्टियां और चुनाव आयोग के साथ ही प्रशासन ने भी लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इस बार राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा यह देखने वाली बात होगी.
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