Rajasthan News: राजस्थान सहित मध्य प्रदेश के खेंतों को सींचने वाली चंबल नदी (Chambal River) पर बने तीन बांधों की ताकत में इजाफा होने जा रहा है. चंबल नदीं पर बने मेन तीन बांधों के गेटों को बदलने का फैसला लिया गया है. जवाहर सागर और राणा प्रताप सागर के सभी 29 गेट बदले जाएंगे. साथ ही कोटा बैराज के सभी 19 गेटों का केमिकल ट्रीटमेंट होगा. सालों से इनकी मरम्मत और गेट बदलने की डिमांड चली आ रही थी और खतरा भी बढ़ता जा रहा था, जिसे देखते हुए राज्य व केन्द्र सरकार ने इसकी मंजूर दे दी.
दरअसल, चंबल नदी पर बने जवाहर सागर के 12 और राणा प्रताप सागर के 17 गेटों को बदला जाएगा. चंबल नदी पर 50 साल पुराने कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणा प्रताप सागर के गेट की मरम्मत होगी. वहीं कोटा बैराज के सभी 19 गेट का केमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा. इसके लिए राज्य एवं केंद्र के जल संसाधन विभाग से 182.78 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है.
किस बांध को कितना बजट मिला
जल संसाधन विभाग कोटा के अधिकारियों का कहना है कि, इन कार्यों की निविदा जारी की गई हैं, जिसमें सिविल और हाइड्रो मैकेनिकल वर्क होगा. इसमें दुबारा से सर्वे होगा और प्रपोजल भेजा जाएगा. राणा प्रताप सागर की बात करें तो इस पर 65.72 करोड़ रुपए खर्च होंगे और 17 गेट बदले जाएंगे. साथ ही डाउन स्ट्रीम पर फुट ब्रिज बनाया जाएगा. इसके साथ ही जवाहर सागर में 72.80 करोड़ रुपये का काम होगा और 12 गेट बदलें जाएंगे. डाउन स्ट्रीम पर फुट ब्रिज भी बनेगा. वहीं कोटा बैराज पर 44.26 करोड़ का कार्य होगा और 19 गेटों का केमिकल ट्रीटमेंट करवाया जाएगा.
कोटा बैराज पर बनेगा स्टील का फुट ब्रिज
कोटा बैराज की डाउन और अप स्ट्रीम पर स्टील का फुटविज बनेगा. ब्रिज नहीं होने से कोई खराबी आने पर मरम्मत या अन्य काम रस्सी पर लटककर किया जाता था, जिसमें खतरा अधिक रहता था और काम भी ठीक से नहीं हो पाता था. कोटा बैराज के 19 गेट बदलने की जरूरत नहीं बताई गई हैं, लेकिन केमिकल ट्रीटमेंट से रिनोवेशन होगा, जिसके तहत टीन और जिंक केमिकल का उपयोग किया जाएगा.
अंडरवाटर वीडियोग्राफी के बाद लिया गया निर्णय
राजस्थान में चंबल नदी पर बने तीनों बांध के जीर्णोद्धार से पहले पूरी जांच की गई. दो साल पहले केंद्रीय जल आयोग के एक्सपर्ट की टीम ने भी सर्वे किया था. बांधों के गेटों की विशेषज्ञ हेल्थ एसेसमेंट कराकर सिफारिश रिपोर्ट मांगी गई थी. बांधों के गेटों की पूरी जांच से पहले अंडरवाटर वीडियोग्राफी कराई थी. जिसमें बांधों के बॉडी स्ट्रक्चर की जांच की गई थी. उसके बाद ही इन्हें दुरूस्त करने का निर्णय लिया गया है.