कोटा: राजस्थान के कोटा की पॉक्सो न्यायालय क्रम-3 ने 6 साल की मासूम बालिका के साथ दुष्कर्म के आरोपी मदरसे के मौलवी को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है. वहीं आरोपी पर एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया है. इसके साथ ही न्यायाधीश दीपक दुबे ने एक संदेशपरक कविता भी इस आदेश के साथ लिखी है जिसमें बालिकाओं को बचाने के साथ ही आरोपियों के खिलाफ सख्त संदेश दिया गया है. 

मासूम के साथ दुष्कर्म करने के बाद फरार हो गया था मौलवी

13 नवंबर 2021 को पीड़ित बच्ची के पिता ने दीगोद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी 6 वर्षीय लड़की के साथ उर्दू पढ़ाने वाले मौलवी ने दुष्कर्म किया था. रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि उनकी बेटी दोपहर 3 बजे के करीब पढ़ने के लिए मौलवी अब्दुल रहीम के पास गई थी और  4 बजे वह घर रोती हुई वापस आई. उसने बताया कि मौलवी ने उसके साथ गलत काम किया था. वह रोने लगी तो मौलवी उसे छोडकर भाग गया था. बच्ची ने घर आकर पूरी बात अपने परिजनों को बताई उसके बाद परिजन उसे लेकर थाने गए और मामला दर्ज कराया. इस रिपोर्ट पर धारा 376 आईपीसी व पॉक्सो अधिनियम 2012 में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई.  जांच के दौरान फरियादी के बयान लिए गए, संपूर्ण अनुसंधान में मुलजिम अब्दुल रहीम (43) पुत्र अब्दुल कद्दूस, निवासी शिवदास घाट की गली रामपुरा कोतवाली कोटा शहर के खिलाफ अपराध प्रमाणित पाया गया. 

कोर्ट ने कहा मौलवी ने पवित्र भावनाओं को गंभीरता पूर्वक आहत किया
न्यायाधीश ने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त द्वारा धार्मिक शिक्षक जैसे पवित्र पद पर रहते हुए 6 वर्षीय मासूम पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बनाकर ना केवल धर्म गुरुओं के प्रति आम जनमानस की पवित्र भावनाओं को गंभीरता पूर्वक आहत किया गया है, बल्कि मासूम पीड़िता के मन मस्तिष्क पर भी अपने कुकृत्य की ऐसी राक्षसी छाप छोड़ी है जिसे संभवत उक्त मासूम अजीवन नहीं बुला सकेगी. न्यायाधिश ने कहा कि कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मासूम पीड़िता को भविष्य में प्रत्येक धर्म गुरु और धर्म का उपदेश करने वालों के चेहरे में दुष्ट अभियुक्त मौलवी का राक्षसी चेहरा ही दिखेगा. यही कारण है कि जब पीड़िता से प्रतिपरीक्षण में यह पूछा गया कि अभियुक्त उसे बेटी की तरह प्यार करता था तो पीड़िता ने तुरंत इंकार कर दिया था, पीड़िता का यह आचरण अभियुक्त के प्रति घृणा को दशार्ता है. ऐसी दशा में न्यायालय अभियुक्त को कठोरतम दंड से दंडित करना न्याय संगत पाता है, ताकि भविष्य में कोई भी  पवित्र धार्मिक पद पर बैठकर ऐसे पैशाचिक कृत्य को करने की हिम्मत न जुटा सके.


आदेश के साथ न्यायाधीश ने लिखी कविता
ओ मेरी नन्ही मासूम परी रानी, तुम खुश हो जाओ.
तुम्हे रुलाने वाले दुष्ट राक्षस को हमने जिंदगी की आखिरी सांस तक के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया.
तुम इस धरती पर निडर होकरअपने सपनों को खुले आसमान में पंख लगाकर उड़ सकती हो.
तुम सदैव हंसती रहो, चहकती रहो, बस! यही प्रयास है हमारा. 

 

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