Rajasthan News: राजस्थान के कोटा (Kota) में 'कामयाब कोटा' अभियान के अंतर्गत शहर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस अभियान के तहत जिला कलेक्टर डॉक्टर रविंद्र गोस्वामी ने लैंडमार्क स्तिथ होस्टल में कोचिंग स्टूडेंट्स के साथ डिनर करते हुए बातचीत की. उन्होंने छात्रों से कहा कि 'आप कोटा का गौरव हैं. आपसे कोटा की पहचान है, इसलिए हर पल को यादगार बनाए.'
नीट में टफ कम्पटीशन और प्राइवेट कॉलेज की बढ़ती फीस पर पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि 'जो लक्ष्य मुश्किल न हो उसमे मजा नहीं है. लक्ष्य बनाए खुद को मौका दे. एक प्लान बी जरूर रखें. मेहनत कभी बर्बाद नहीं होती है, निश्चित तौर पर परिणाम अच्छे होंगे.'
छात्रों के सवालों का दिया जवाब
एक छात्र ने कहा कि मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे का जब साल का 6-7 लाख रुपये लगता है और वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, तो वह हिम्मत हारने लगता है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 'आपके परिवार ने आपको यहां इसलिए भेजा है, ताकि आपका भविष्य सुंदर और सुखद हो. उनके लिए आपका होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.ट
'इसलिए कोशिश करें की खुद के एटेम्पट की सीमा रखे. आज के दौर में हर क्षेत्र में रोजगर और कामयाबी के बहुत अवसर हैं. अवसरों को पहचाने और और क्षमता अनुसार मेहनत करें, पर खुद को परिवार के खर्च के तनाव में न रखें. आपका होना ही माता पिता का सबसे बड़ा सुख है.'
'तनाव की उम्र लंबी नहीं होती'
कलेक्टर ने छात्रों से पढ़ाई के तनाव पर कहा कि 'संगीत सुने, माता-पिता, भाई-बहन से नियमित बात करें. लंबी गहरी सांस लें, तनाव की उम्र कभी लंबी नहीं होती है. कुछ क्षण खुद को संभाल लें और दिन को छोटे हिस्सो में बांटकर पढ़ाई करें. मुश्किल टॉपिक्स को पहचानें उनके टेस्ट दें, उस पर पर ज्यादा समय दें. एग्जाम में रिविजन की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए रिविजन जरूर करें.'
'नौकरी-इम्तिहान जीवन का हिस्सा है, जीवन नहीं'
हॉस्टल की भूमिका के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि प्रशासन कभी अकारण परेशान नहीं करता, न करेगा, लेकिन अगर व्यवस्था में किसी की गलती है तो उसको छोड़ा नहीं जाएगा. पीएमटी से यूपीएससी में आने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा बतौर डॉक्टर जब एक गरीब परिवार की स्वास्थ्य समस्या के अलावा अन्य मजबूरियां देखी तब लगा की वहां सेवा का सीमित दायरा था, यहा एक बड़े दायरे में सेवा करने के अवसर के कारण यूपीएससी की तरफ रुझान बढ़ा.
छात्रों ने बातचीत के दौरान शायरी और गाना सुनाया, तो कलेक्टर ने कहा यह बहुत सुंदर हुनर है. कुछ भी बनो इस हुनर को साथ रखना. छात्र ने खुद को इंट्रोवर्ट बताते हुए अपनी समस्या के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि यह मानवीय व्यक्तिव का हिस्सा है और ऐसे छात्रों में भटकाव कम होता है, इसलिए कामयाब होना आसान है. उनके जीवन की चुनौतियों के बारे में जब छात्रों ने पुछा, तो उन्होंने बताया कि ग्रामीण परिवेश से होने के कारण कोई मार्ग दर्शन देने वाला नहीं था, लेकिन मेहनत से उनको मंजिल मिल गई. उन्होंने कहा नौकरी, इम्तिहान जीवन का हिस्सा है, जीवन नहीं है.
'खुद को खुश करने वाले काम करें'
संवाद के दौरान कलेक्टर ने कहा कि भगवान को भी भक्तों से काम पड़ता है. भजन गाकर छात्रों का मनोबल बढ़ाया और 'आ लेके चलूं तुझे ऐसे गगन के तले' गाने के साथ शाम को सुरमई बनाया. टारगेट के अनुसार पढ़ाई न कर पाने पर होने वाले तनाव से कैसे निपटा जाए. इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि 'दिन को छोटे छोटे हिस्सो में बांटे. समय और लक्ष्य को कंपार्टमेंटलाइज करें और अपने अटेंशन स्पान को पहचाने और उसके पूरा होने पर खुद को खुश करने वाले काम करें.'
जिला कलेक्टर के साथ डिनर कार्यक्रम की छात्रों ने सराहना की. इस अवसर पर उप निदेशक आईसीडीएस गजेंद्र सिंह ने भी छात्राओं को संबोधित किया. कार्यक्रम में लैंडमार्क होस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि 'हॉस्टल एसोसिएशन लगातर प्रयास कर रही है कि बच्चों को खुशनुमा माहौल मिले और वह हमारे परिवार के बच्चों की तरह रहें.'
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