Rajasthan: अब कलयुग के 'रावण' करेंगे रामराज्य की स्थापना, संसद की तर्ज पर होगा सदस्यों का चयन
Rajasthan News: राजस्थान के कोटा और आसपास की रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले रावण अब सामाजिक सरोकार के लिए कार्य करेंगे.
Kota News: रावण यदि अहंकारी नहीं होता तो सीता का हरण नहीं होता, इतना बड़ा युद्ध नहीं होता और हजारों लाखों लोगों की जान नहीं जाती. रावण यदि सच्चाई के मार्ग पर चलता तो अनर्थ नहीं होता, लेकिन देर आए दुरूस्त आए की कहावत को चरित्रार्थ करने के लिए कलयुग के 'रावण' आगे आए हैं. वह अब राम के बताए मार्ग पर चलने जा रहे हैं. राजस्थान के कोटा और आसपास हो रही रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले रावण अब सामाजिक सरोकार के कार्य को लेकर एक जुट हुए हैं.
दशानन की तरह ही दस रावण एक मंच पर आए हैं. यह दस बुराइयों को दूर करेंगे साथ ही देशभर के रावणों को साथ लेकर महाअभियान चलाने जा रहे हैं. ये सभी रावण रामराज्य की स्थापना के साथ ही राम के बताए मार्ग पर चलने के लिए वचनबद्ध हैं. इन सभी रावणों ने सार्वजनिक रूप से शपथ लेकर राम की जय-जय कार हो ऐसा पथ चुना है.
भिक्षावृत्ति उन्मूलन को लेकर होगा काम
देशभर की रामलीलाओं में रावण के पात्र का मंचन करने वाले वाले कलाकारों की संस्था 'कर्मयोगी रावण सरकार' भिक्षावृत्ति उन्मूलन को लेकर काम करेगी. फिलहाल कर्मयोगी सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष राजाराम जैन कर्मयोगी के नेतृत्व में मंगलवार को महानवमी पर कोटा के रामधाम आश्रम पर 10 रावण पात्रों को लेकर 'कर्मयोगी रावण सरकार' संस्था का गठन किया गया. राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि अब देश भर में संसद की तर्ज पर सदस्य चयनित किए जाएंगे.
वहीं विधानसभा वार रावण के पात्रों का चयन कर कर्मयोगी रावण सरकार से जोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के अनुसार 2024 में प्रभु श्रीराम लला अयोध्या राम मंदिर गर्भगृह में विराजित होंगे. उस समय देशभर के रावण के पात्र इतिहास की भूलों पर प्रायश्चित करेंगे.
कोई भी राजनैतिक पद ग्रहण नहीं करेगा
उन्होंने बताया कि कर्मयोगी रावण सरकार का कोई सदस्य राजनैतिक पद ग्रहण नहीं करेगा, जबकि सामाजिक सरोकारों को लेकर कार्य योजना बनाएगा. कर्मयोगी रावण सरकार सर्वप्रथम भिक्षुक मुक्त भारत की दिशा में योजना पूर्वक आगे बढ़ेंगे. वहीं देश का नाम 'श्री भारत' करने की भी मांग की जाएगी. राजाराम जैन ने बताया कि रावण ने भिक्षावृत्ति की ओट लेकर माता सीता के साथ छल किया था. आज भी इसकी आड़ में कई अनैतिक और देशविरोधी गतिविधियां संचालित होती हैं.
दस सदस्यों के साथ की शुरुआत
कर्मयोगी रावण सरकार का गठन कोटा से 10 सदस्यों को साथ लेकर किया गया. जिसमें राजाराम जैन कर्मयोगी के अलावा राघवेंद्र कला संस्थान के अश्वत्थामा दाधीच, श्रीराम कला संस्थान के दीपक शर्मा, श्री चतुर्भुज नाथ मंडल समिति किशनगंज के नीरज निराला, झालावाड़ के लंकेश दिनेश दिलवाला, रेलवे कॉलोनी वर्कशॉप शिव मंदिर लंकेश योगेंद्र सिंह क्रांतिकारी, बजरंग नवयुवक मंडल लाड़पुरा के लंकेश ज्वालाप्रसाद सुथार, आदर्श रामलीला मंडल मोरपा के रामेश्वर यादव, केशवरायपाटन के महेश पंचोली, केशवपुरा के बृजमोहन सेन, पाटूंदा से राम प्रसाद सेन तथा मांगरोल के जगदीश निराला मौजूद रहे.
लावारिश शवों का निशुल्क अंतिम संस्कार कर रहे राजाराम जैन
कर्मयोगी रावण सरकार के संस्थापक सदस्य राजाराम जैन वर्ष 2007 से लावारिश शवों का निशुल्क अंतिम संस्कार कर रहे हैं. वे अब तक 6317 जरूरतमंद और लावारिश शवों का निशुल्क अंतिम संस्कार कर हरकी पौड़ी हरिद्वार पर अस्थि विसर्जन कर चुके हैं. उनके द्वारा अंतिम संस्कार सामग्री वाहन, शव वाहन और एंबुलेंस भी संचालित होती है.
ये होगी कार्ययोजना
कर्मयोगी रावण सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर भिक्षावृत्ति रोकथाम विधेयक लाने की मांग करेगी. इसके अलावा केंद्र सरकार से अंतिम संस्कार विभाग मंत्रालय का गठन करने की भी मांग करेगी. जिसके माध्यम से देशभर में जरूरतमंद और लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कर सम्मानजनक विदाई सुनिश्चित की जाए. ऐसे में कंधे पर या साईकिल पर शव को ले जाने पर किसी को मजबूर न होना पड़े. वहीं हमारी धरोहर कोहिनूर हीरे को वापस लाने के लिए भी केंद्र सरकार से मांग की जाएगी.
बनें इको फ्रेंडली रावण, बुराई के प्रतीक का न बढ़े कद
राजाराम जैन कर्मयोगी ने कहा कि रावण का आधुनिक रुप आतंकवादी हैं. रावणरुपी आतंक का अंत जरुरी है. वहीं बुराई के प्रतीक रावण का कद बढ़ाने की होड़ मची हुई है. जबकि बुराई के इस प्रतीक का कद निश्चित होना चाहिए. कर्मयोगी ने कहा कि रावण के पुतले में लकड़ी, बारुद आदि से प्रदूषण होता है. जबकि रियासतकालीन परंपराओं में मिट्टी के रावण बनाए जाते थे. उन्होंने कहा कि श्रीराम मानवता के सर्वश्रेष्ठ प्रतिमान हैं, जो सब जगह रमा है, वही राम है. हमें अपने अंदर के रावण को मारकर राजा रामचंद्र की हृदय में प्रतिष्ठा करनी चाहिए.
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