Kota News: कोरोना के बाद बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले! कोटा में एक लाख स्टूडेंटों को दी गई CPR की ट्रेनिंग
Kota CPR Training: कोराना के बाद से हार्टअटैक के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. सही समय पर लोगों को इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हो रही है. कोटा में एक लाख विद्यार्थियों को सीपीआर ट्रेनिंग दी गई.
Rajasthan News: भागती दौड़ती जिंदगी, बदलती जीवन शैली, स्वास्थ्य के प्रति लोगों की उदासीनता और डिप्रेशन के कारण कई बीमारियों घर कर रही हैं. कोविड के बाद आ रहे साइड इफेक्ट के कारण भी लोगों को परेशानी आ रही है. कोराना के बाद से हार्टअटैक के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. सही समय पर लोगों को इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हो रही है.
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की ओर से कार्डियक अरेस्ट में लोगों की जान बचाने के लिए 10 लाख लोगों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) ट्रेनिंग दी जा रही है. जिसके तहत एक लाख स्टूडेंटों को सीपीआर ट्रेनिंग दी गई. कोटा के वरिष्ट हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. साकेत गोयल की टीम ने समरस ऑडिटोरियम, डॉ. सिद्धार्थ सेठी की टीम ने सत्यार्थ सभागार एवं डॉ. ब्रम्हप्रकाश त्रिपाठी की टीम ने कुन्हाड़ी स्थित सद्गुण सभागार में यह ट्रेनिंग कराई.
जब दिल धडकना बंद कर दे तो क्या करें?
डॉ. साकेत गोयल ने बताया कि सीपीआर एक इमरजेंसी जीवन रक्षक प्रोसेस है. इसका उपयोग तब किया जाता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है. कार्डियक अरेस्ट के बाद तत्काल सीपीआर से व्यक्ति के बचने की संभावना बढ़ जाती है. जब किसी पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो या बेहोश हो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है. किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले सीपीआर दिया जाता है.
सीपीआर के दौरान अपने दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में जोर से और तेजी से पुश करना होता है. इसके बाद मुंह से सांस देनी होती है. इस प्रोसेस को माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं. इसके लिए उस पीड़ित को पहले किसी ठोस जगह पर लिटाया जाता है. इसके बाद रेस्पिरेशन दिया जाता है.
दिल का दौरा पड़ने पर पहले घंटा गोल्डन आवर
डॉ. सिद्धार्थ सेठी ने बताया दिल का दौरा पड़ने पर पहले घंटा गोल्डन आवर माना जाता है. इस समय मरीज को सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है. यह संजीवनी का काम करता है. डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि सीपीआर की तकनीक सभी को आनी चाहिए. सीपीआर की ट्रेनिंग में सबसे अधिक भागीदारी कोचिंग स्टूडेंट्स की रही.
उन्हें लगातार सीपीआर की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वह अपने प्रोफेशन में आवश्यकता पड़ने पर किसी की जान बचा सकें. नीट की तैयारी करने वाला बच्चा चिकित्सक बनने से पहले ही इस विधा में परिपूर्ण हो जाता है तो जरूरतमंदों की मदद कर सकता है, वहीं अन्य स्टूडेंट भी अपने-अपने क्षेत्र में हार्ट अटैक आने वाले व दुर्घटना के मामलों में सम्बंधित को बचा सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Rajasthan New Cabinet: राजस्थान में मंत्री पद को लेकर मची होड़, BJP की नई कैबिनेट में इन्हें मिल सकती है अहम भूमिका