Kota Jail News: अपराधी के हाथ में हथियार होते हैं और वहीं हथियार अपराध का कारण बन जाते हैं जिस कारण उन्हें जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ता है, ऐसे में कोटा की जेल में बंद कुख्यात अपराधी सहित अन्य अपराध जगत से जुडे़ लोग अब शिक्षा को अपना हथियार बना रहे हैं. जो बिल्कुल अनपढ़ हैं वह अ से अनार सीख रहे हैं तो जो सक्षम हैं वह कम्प्यूटर के की बोर्ड पर अपनी उंगलियां चला रहे हैं. अपराधियों के हाथों में अब हथियार नहीं स्लेट और चॉक है. ये कैदी शिक्षा के मामध्य से अपना भविष्य यहां गढ रहे हैं. शिक्षा पाकर सम्मानजनक जिंदगी जीना और आजीविका के साधन तलाशने का प्रयास कर रहे हैं. 


कोटा की सेंट्रल जेल अपराधियों में शिक्षा की अलख जगा रही है. पढने वाले कैदी हैं तो पढाने वाला शिक्षक भी कैदी है. जेल अधीक्षक परमजीत सिद्धू ने बताया कि निरक्षर कैदियों को पढ़ाने का जिम्मा लम्बे समय तक सजायाफ्ता अच्छे आचरण वाले शिक्षित बंदी को दे रखा है. जेल में विचाराधीन व सजायाफ्ता निरक्षर कैदियों को हिन्दी की वर्णमाला से लेकर साक्षर करने का बीड़ा जेल प्रशासन उठा रहा है. साक्षर होने पर कैदी अपना नाम-पता लिखने में सक्षम हो जाते हैं. किताब व अखबार आदि पढ़ लेते हैं. हिसाब कर लेते हैं और इस पढाई से उनकी दिनचर्या और आचरण में भी सुधार आ रहा है.


36 बंदियों की होती है 3 घंटे क्लास 
जेल में दोपहर में प्रतिदिन तीन घंटे की क्लास लगती है. क्लास में चित्र सहित अंग्रेजी वर्णमाला, न्यूमेरिकल चार्ट, हिन्दी वर्णमाला के पोस्टर सुसज्जित हैं. कैदियों के हाथों में किताब या कॉपी नहीं, स्लेट और चॉक होती है. कक्षा में अनुशासन और बैठने की व्यवस्था का ध्यान रखा जाता है. अभी विभिन्न आयु के 36 बंदी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. क्लास टीचर भी उनकी क्षमताओं के अनुसार उन्हें काम भी देते हैं. जेल में शिक्षित बंदियों को कम्प्यूटर का ज्ञान भी दिया जा रहा है. टाइपिंग से लेकर कम्प्यूटर की बेसिक नॉलेज दी जा रही है. 18 बंदी कंप्यूटर सीख रहे हैं. जेल अधीक्षक सिद्धू ने बताया कि अपराध जगत से आने वाले बंदियों में व्यवहार कुशलता की कमी नजर आती है. 


पढ़े लिखे कैदी सीख रहे कम्प्यूटर 
ऐसे बंदियों को यदि शिक्षा या किसी लघु उद्योग या प्रशिक्षण में लगा दिया जाता है तो उसमें आत्मविश्वास जागता है. उनके व्यवहार में कुशलता आती है. जेल से निकल कर ये बंदी समाज की मुख्यधारा से जुड़ने लगता है. इसके साथ ही कोटा की जेल द्वारा पेट्रोल पंप का संचालन हो रहा है तो फिनाइल बनाना, झाड़ू, दरी पट्टी बनाना और ना जाने कितने काम यहां हो रहे हैं जो अपने आप में अनूठा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में 541 कैदी साक्षर हुए तो वर्ष 2023 में 259 अब तक साक्षर हो चुके हैं, जबकि 31 कैदी वर्णमाला और 18 कैदी कम्प्यूटर में पारंगत हो रहे हैं.


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