Lumpy Virus: कहां से आया लंपी वायरस, कैसे फैलता है, क्या हैं इसके लक्षण और इलाज, एक्सपर्ट्स से जानें सबकुछ
पशु चिकित्सक डॉ. अखिलेश पांडे ने बताया कि सबसे पहले लंपी वायरस दक्षिण अफ्रीका में रिपोर्ट हुआ था, जो भारत में एक दो साल पहले आया, लेकिन पहले ये घातक नहीं था. इस बार इसने अपना वेरिएंट बदल लिया है.
Lumpy Skin Disease: देश में गायों में लंपी वारयस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसे में इसकी रोकथाम कैसे की जाए हर किसी के मन में यही सवाल है. साथ ही ये वायरस एक गाय से दूसरी गाय में कैसे फैलता है ये जानना बेहद जरूरी है ताकी हम हमारे पशुओं को बचा सकें और संक्रमण को फैलने से रोक सकें. एक्सपर्ट्स ने बताया है कि कैसे हम लंपी से गाय को संक्रमित होने से बचा सकते हैं.
कोटा में भी लंपी वारयस को लेकर पशु चिकित्सक व उनकी टीम बीमारी को रोकने का प्रयास कर रही है, पशु पालकों को जागरूक भी किया जा रहा है. हालाकी यहां पर्याप्त संसाधन व स्टॉफ की कमी है, लेकिन फिर भी स्थिति वर्तमान में नियंत्रण में हैं. कोटा नगर निगम गौशाला में अकेले ही तीन हजार के करीब गाय हैं, जिन पर एक ही पशु चिकित्सक कार्यरत हैं, ऐसे में अगर बीमारी बढ़ी तो गायों की मौत को रोकना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन फिलहाल कोटा में लंपी वायरस अपना विकराल रूप नहीं दिखा सका है.
एक गाय से दूसरी में ऐसे फैलता है लंपी वायरस
पशु चिकित्सक डॉ. अखिलेश पांडे ने बताया कि सबसे पहले लंपी वायरस दक्षिण अफ्रीका में रिपोर्ट हुआ था, जो भारत में एक दो वर्ष पहले आया, लेकिन पहले ये घातक नहीं था. इस बार इसने अपना वेरिएंट बदल लिया है, जिस कारण ये घातक हो गया है. उन्होंने बताया कि लंपी वायरस मक्खी, मच्छर, कीट, छीचड़े द्वारा संक्रमित गाय को काटने के बाद दूसरी गाय को काटने पर उसमें लंपी वायरस प्रवेश कर जाता है. अगर गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है तो वह 15 दिन में ठीक हो जाती है, नहीं तो पशु के शरीर पर गांठ पड़ जाती है, जो एक माह तक रहती है. उसे ठीक होने में समय लगता है. इसके साथ ही जिस गाय के घाव है, चोट लग रही है, और वहां मच्छर मक्खी बैठ रही है तो वहां भी संक्रमण फैलने की संभावना रहती है. यह विषाणु जनित बीमारी है. मच्छर मक्खी व कीट भोजन को भी संक्रमित करते हैं उसके खाने पर भी पशु संक्रमित हो जाता है.
'आयुर्वेद विधि से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता'
इस संबंध में वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. पांडे ने बताया कि अगर गाय की साफ सफाई नियमित की जाए और उसके काली मिर्च, तुलसी, लौंग, सौंठ व हल्दी का एक लड्डू प्रतिदि खिलाया जाए तो गाय लंपी की चपेट में आने के बाद भी गंभीर अवस्था में नहीं पहुंचेगी और कुछ ही दिन में ठीक हो जाएगी. इस विधि से गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
'लंपी से गायों को ऐसे बचाएं'
डॉ. पांडे ने कहा कि पशुओं की नियमित सफाई करें, उसके शरीर को साफ कपडेÞ से पौंछे. घाव को साफ रखें, कीटनाशक का प्रयोग करें, मच्छर मक्खी को पशुओं से दूर रखने के लिए गंदगी नहीं होने दें, गंदगी से मच्छर आते हैं, मोस्कीटों कोयल का संसाधन का उपयोग करें. गाय को पोष्टिक आहार खिलाएं ताकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ जाए. पशु को दूसरे पशु के सम्पर्क में नहीं आने दें, गाय को घर पर ही रखें, बाहर नहीं जाने दें.
'कच्चा दूध भूलकर भी ना पिएं'
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कच्चा दूध भूलकर भी ना पिएं, दूध को कम से कम 15 मिनट तक अच्छी तरह उबालना चाहिए, ताकि उसमें मौजूद बैक्टीरिया काफी हद तक खत्म हो सकें, ऐसे में अगर लोग गाय के दूध को उबाल कर पीते हैं तो उससे खतरा होने की आशंका नहीं है, लेकिन अगर ये दूध गाय का बच्चा सेवन करे तो ये उसके लिए हानिकारक हो सकता है, ऐसे में बछड़े को गाय से अलग कर देना चाहिए.
लंपी वायरस के लक्षण
- गाय या भैंस का तेजी से वजन कम होना.
- गाय या भैंस की दूध उत्पादक की क्षमता घटना.
- शरीर पर 10-50 मिमी गोलाई वाली गांठ निकलना.
- इस वायरस से पशु को बहुत तेज बुखार आना.
- खाना बंद करना क्योंकि चबाने और निगलने में परेशानी होना.
- गाय में कमजोरी आना, सुस्त रहना.
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