Udaipur Sketer Labdhi Surana: किसी ने सच ही कहा है कि किसी भी मुकाम को हासिल करने या उस तक पहुंचने के लिए उम्र मायने नहीं रखती है. हम आज एक ऐसे ही उदाहरण की बात कर रहे हैं. 11 साल स्केटर लब्धि सुराणा (Labdhi Surana), जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलना सीखते है उस 3 साल की उम्र में लब्धि सुराणा ने स्केटिंग (Skating) चलाना सीख लिया. 11 साल की उम्र तक लब्धि ने राष्ट्रपति से यंगेस्ट चाइल्ड अवॉर्ड (Youngest Child Award) तो प्राप्त किया ही, इसके अलावा यूरोप में हुई प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल (Gold Medal) जीता. यही नहीं लब्धि को उदयपुर जिले में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया गया है.


कोच के पास ले गए पापा
लब्धि सुराणा ने एबीपी से बात करते हुए बताया कि पापा कोच के पास ले गए थे तो उन्होंने मेरा फिजिक देखते हुए रनिंग या स्केटिंग करने के लिए कहा था, फिर पापा ने स्केटिंग कराना तय किया. पूरी जिम्मेदारी मां पर थी वो सुबह उठती और खाना बनाकर मुझे स्केटिंग के लिए ले जाती. उन्होंने काफी तकलीफ झेली, जिस कारण मैं यहां तक पहुंची.




ये है सपना 
लब्धि ने आगे बताया कि सुबह और शाम 2-2 घंटे प्रैक्टिस करती हूं. साथ ही पापा ले जाते हैं तो वो स्कूटी पर रहते हैं और मैं 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से स्केटिंग करती हूं. लब्धि ने बताया कि नेशनल के अलावा यूरोप में भी गई जहां सबसे बड़ा यूरोपा कप होता है. यूरोपा कप में स्पीड स्केटिंग में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है. सपना है कि देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड लाना है.




ये एक दिन में नहीं हुआ 
लब्धि की मां अंजली सुराणा ने बताया कि ये एक दिन में नहीं हुआ, इसके पीछे लब्धि की काफी मेहनत रही. शुरुआत में रोती थी लेकिन धीरे-धीरे वो खुद जुनून से स्केटिंग करने लग गई. यही नहीं कम उम्र में भी जो कोच ने डाइट बताई वही खा लेती थी. उन्होंने आगे बताया कि राजस्थान में स्केटिंग के लिए एक भी नेशनल स्तर का ट्रैक नहीं है. बेटी की अच्छी तैयारी के लिए 6 माह के बेटे को लेकर मैं महाराष्ट्र के पूना में 2 साल के लिए शिफ्ट हो गए. वहां पूरा ध्यान इसकी स्केटिंग पर ही दिया. इसमें स्कूल की तरफ से भी काफी सपोर्ट मिला.


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