Rajasthan MLA Fund: लोकतंत्र (Democracy) में जनता अपने मत का प्रयोग कर सरकार को चुनती है. लेकिन, जिन नेताओं को जनता वोट देकर आगे भेजती है कई बार वो ही अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं. राजस्थान (Rajasthan) में 200 विधानसभा सीटें हैं यहां विधायकों को जनता के विकास कार्यों के लिए हर साल 5 करोड़ का फंड मिलता है. हकीकत ये है कि विधायक इस फंड का 50 प्रतिशत की खर्च कर पाए हैं. विधायकों का तर्क है कि स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत स्वीकृत राशि कार्यों के अभाव में पड़ी हुई है.


राजस्थान सरकार को मिली राहत 
गहलोत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में वैक्सीनेशन के लिए विधायक फंड की राशि को फ्रीज किया गया था. इससे राज्य सरकार को करीब 3000 करोड़ रुपए की बचत हुई थी. गहलोत सरकार ने विधायकों को मिली राशि का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं में करने का निर्णय लिया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में 18 से 44 वर्ष के लोगों के मुफ्त टीकाकरण की घोषणा की जिसके बाद गहलोत सरकार को बड़ी राहत मिली. इसके बाद सीएम गहलोत ने 21 जून 2021 को विधायकों की फ्रीज राशि बहाल कर दी. प्रत्येक विधायक के 3-3 करोड़ रुपए बहाल किए गए. जयपुर शहर एवं देहात को मिलाकर 19 विधानसभा क्षेत्रों के सभी विधायकों ने 3 साल में एमएलए फंड के 39 करोड़ की राशि का ही उपयोग किया है. 


सीएम गहलोत ने बढ़ाई थी राशि
18 से 44 वर्ष के लोगों को वैक्सीनेशन मुफ्त में लगाए जाने की मांग के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में कोरोना की वैक्सीन मुफ्त में लगाए जाने के निर्णय लिया. इस फैसले से गहलोत सरकार और राजस्थान के विधायकों को फायदा मिला. कोरोना काल के चलते कामकाज ठप था. फिलहाल, जो विकास कार्य स्वीकृत हो रखे हैं वही शुरू नहीं हो पा रहे हैं इसलिए एमएलए फंड से विकास कार्यों की अनुशंसा नहीं की गई है. राजस्थान में प्रत्येक विधायक को एमएलए फंड के 5 करोड़ रुपए मिलते हैं. सीएम अशोक गहलोत ने 11 मई 2021 को विधायक कोष की राशि 2.5 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ कर दी थी.


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