Lok Sabha Election 2024: बांसवाड़ा में BAP ने भरी चुनावी हुंकार, बीजेपी-कांग्रेस पर लगाया ये बड़ा आरोप
Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: भारत आदिवासी पार्टी के तीन विधायक हैं. जिसमें से डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा से राजकुमार रोत जो अब बांसवाड़ा लोकसभा से प्रत्याशी भी हैं.
Rajasthan Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव करीब आते राजस्थान में सियासी सरगर्मियां तेज हो रही हैं. राजस्थान के वागड़ में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है. डूंगरपुर में बीजेपी सरकार की नीतियों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी उग्र प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए.
इसी तरह बांसवाड़ा के कुशलबाग मैदान में भारत आदिवासी पार्टी का महासम्मेलन हुआ है. इसमें भारत आदिवासी पार्टी के तीन विधायक सहित कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे. उन्होंने मुख्य मांग आरक्षण को लेकर हुंकार भरी. इसके अलावा उन्होंने सरकार से कई अन्य मांगे भी की.
बीजेपी-कांग्रेस पर लगाए ये आरोप
भारत आदिवासी पार्टी के तीन विधायक हैं. जिसमें से डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा से राजकुमार रोत जो अब बांसवाड़ा लोकसभा से प्रत्याशी भी हैं. डूंगरपुर जिले की आसपुर विधानसभा से उमेश डामोर और प्रतापगढ़ जिले की धरीवाद विधानसभा से थावरचंद डामोर. ये सभी विधायक इस महासम्मेलन में शामिल हुए.
इस मौके पर विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी आदिवासी क्षेत्र के संवैधानिक अधिकारों को उठाकर लागू करवाने के लिए बनी है. उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय पार्टियों ने लोगों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन मांगें एक भी पूरी नहीं की. पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा, "बीजेपी-कांग्रेस विधायक आदिवासी समाज का बजट उड़ाने के लिए बने हैं.
यह हैं मांगे
- आदिवासी क्षेत्र में आर्टिकल 244 (1) 5वीं अनुसूचि की मूल भावना अनुरूप पूर्ण आरक्षण व्यवस्था लागू की जाए.
- राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में अनुसूचित जनजाति के लिए "कोटे में कोटा आरक्षण व्यवस्था" कर के 12% में से 6.5% अनुसूचित क्षेत्र (शिडूल्ड ऐरिया) के लिए आरक्षित हो.
- अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी अभ्यर्थियों के लिए सभी प्रकार कि भर्तियों में न्यूनता अंको की बाध्यता खत्म की जाए.
- आदिवासी क्षेत्र का पृथक भर्ती बोर्ड बनाया जाए.
- माही बांध के टापुओं का नामकरण भील वंश महापुरुषों के नाम पर किया जाए.
- आदिवासी क्षेत्र में 1949 के बाद आए गैर आदिवासीयों को भी 2016 की अधिसूचना में "सद्भावी निवासी" के नाम से आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है यह अनुसूचित क्षेत्र (शेड्यूल्ड एरिया) में स्थानीयता की नीति के खिलाफ है. 2013 की अधिसूचना निरस्त कर नई अधिसूचना जारी की जाए.
- आदिवासी क्षेत्र के सभी विभागों में आदिवासी अधिकारी कर्मचारी जो भीली भाषा जानते हों को ही नियुक्ति दी जाए.
- अनुसूचित क्षेत्र में स्वर्ण भंडार सहित सभी प्रकार की खनन लीज केवल आदिवासी सहकारी समितियों की दी जाए और 50% लाभांश आदिवासी के विकास पर खर्च किया जाए.
- अनुसूचित क्षेत्र के जनजाति छात्रों की सभी प्रकार की छात्रवृत्तियां प्रतिमाह की पहली तारीख को उनके खातों में जमा की जाए.
- आदिवासी क्षेत्र के सभी स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों में अध्यापक, प्रोफेसर, डॉक्टर नर्सों के पद भरे जाएं.