Rajasthan Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 राजस्थान में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है. जहां पर इंडिया गठबंधन ने 11 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है. इसके पीछे की बड़ी सियासी कहानी क्या है, इसे लेकर खूब बातें हो रही है. लेकिन राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकारों की माने तो बीजेपी की नई लीडरशिप टीम पूरी तरह से फेल हुई है. 


दरअसल, राजस्थान में टिकट के बंटवारे में पार्टी अध्यक्ष और अन्य नेताओं ने सही निर्णय नहीं लिया है. जिसका असर अब चुनाव के परिणाम पर पड़ा है. वहीं, कुछ पत्रकारों का कहना है कि सरकार भी बेअसर दिखी है. प्रशासन का कोई बड़ा असर नहीं बन सका और इसके साथ कई सीटों पर अपने लोगों को मैनेज करने में यहां पर पार्टी में कोई बड़ी कोशिश नहीं हुई है. ऐसी कई वजहें हैं जो इन्हे नुकसान उठाना पड़ा है. राजस्थान के पुराने नेताओं की सभाएं भी बेहद कम कराई गईं. उनकी सलाह भी बेहद कम ली गई है.


कई टिकटों के बंटवारे गलत हुए
राजस्थान में इस बार बीजेपी ने लगभग 10 नए चेहरों को मैदान में उतारा था. बाकी सीटों पर पुराने चेहरों को रिपीट किया है. वरिष्ठ पत्रकार विनोद पाठक का मानना है कि राजस्थान की कई सीटों पर टिकट में बदलाव करना था लेकिन पार्टी ने वहां पर मुंह फेर लिया. जैसे सवाईमाधोपुर, बाड़मेर-जैसलमेर, चूरू, दौसा, सीकर आदि सीटों पर प्रत्याशी का चयन ठीक नहीं हुआ. वहां पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है. नागौर की सीट का असर जोधपुर के साथ पाली और अन्य पर असर पड़ा है. यहां पर टिकट वितरण पर ध्यान देना चाहिए था.


नई टीम के पास अनुभव की कमी
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा का कहना है कि वैसे इस सरकार में नए लोग कम हैं, लेकिन इनके पास प्रशासन का अनुभव ज्यादा नहीं है. इसका असर भी पड़ने लगा है. कई जगहों पर नाराजगी भी बनी हुई है. भरतपुर, धौलपुर -करौली, दौसा और सवाईमाधोपुर में इसका असर भी दिखा है. हालांकि, पार्टी अध्यक्ष तीसरी बार सांसद बने हैं. उन्हें तो मझा हुआ खिलाड़ी माना जा रहा है. फिर भी सीटें कम हुई है. मुख्यमंत्री के साथ दोनों डिप्टी सीएम शासन में कमजोर माने जा सकते हैं.


सिर्फ मोदी के सहारे रह गए स्थानीय नेता
इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार हरीश मलिक का कहना है कि स्थानीय स्तर पर काम नहीं हुआ. बीजेपी नेता सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के सहारे ही रह गए, जिसे लेकर यहां के सामान्य कायकर्ताओं में रोष और नाराजगी थी. टिकट बंटवारे के साथ ही साथ नाराज नेताओं को मनाया नहीं गया. पूर्वी राजस्थान हो या मेवाड़ सभी क्षेत्रों में नाराजगी बनी रही. कुछ सीटों पर पार्टी ने प्रयास किया लेकिन बाकी जगहों पर छोड़ दिया गया था. जिसका असर परिणाम पर दिखा है.


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