Rajasthan News: दिल्ली से चित्तौड़गढ़ किले के दरवाजे उखाड़ लाये थे महाराजा जवाहर सिंह, जानें- इसकी ऐतिहासिक विरासत
Chittorgarh Fort: रानी पद्मावती के जोहर के बाद अलाउद्दीन खिलजी गुस्से में पागल सा हो गया और उसने चित्तौड़गढ़ में मारकाट और लूटपाट शुरू कर दी. खिलजी चित्तौड़गढ़ किले का दरवाजा उखाड़ कर दिल्ली ले गया.
Chittorgarh Fort History: राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) का किला प्राचीन किलों में से एक और सबसे बड़ा किला है.यहां अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khalji) के आक्रमण के दौरान 25 अगस्त 1303 को रानी पद्मावती (Padmavati) ने अपनी हजारों दसियों के साथ जोहर किया था. जब अलाउद्दीन खिलजी को रानी पद्मावती के जोहर का पता लगा तो अलाउद्दीन खिलजी गुस्से में पागल सा हो गया और उसने चित्तौड़गढ़ में मारकाट और लूटपाट शुरू कर दी. उसके बाद अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ किले के अष्टधातु का बना हुआ दरवाजा उखाड़ कर दिल्ली (Delhi) ले गया और दिल्ली के लाल किले (Red Fort) में जाकर लगवा दिया.
चित्तौड़गढ़ किले का गेट उखाड़कर ले गया
बताया गया है कि भरतपुर के महाराजा जवाहर सिंह अपने पिता महाराजा सूरजमल की मौत का बदला लेने के लिए दिल्ली के शासक नजीबुद्दौला पर हमला कर दिया. दिल्ली को फतह करने के बाद उन्हें जानकारी हुई की अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ किले का गेट उखाड़कर लाया था. इसके बाद महाराजा जवाहर सिंह भी दिल्ली से चित्तौड़गढ़ किले का ऐतिहासिक दरवाजा को उखाड़ कर भरतपुर ले आये.
दरवाजे को देखने दूर-दूर से लोग आ रहे
भरतपुर आने के बाद महाराजा जवाहर सिंह ने चित्तौड़गढ़ शासक को संदेश भिजवाया कि दिल्ली से अष्टधातु के दरवाजे को भरतपुर ले आये हैं. अगर आप चाहें तो राजपूती शान के प्रतीक दरवाजे को ले जा सकते हैं. जब चित्तौड़गढ़ से कोई जबाब नहीं आया और ना ही कोई अष्टधातु के दरवाजे को लेने आया तो इस ऐतिहासिक दरवाजे को भरतपुर के किले पर लगा दिया. यह दरवाजा आज भी लोहागढ़ के फोर्ट के उत्तरी भाग पर लगा है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.