Rajasthan Government News: राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम को लागू किया था. इसके तहत राज्य के सभी विधायकों, पूर्व विधायकों सहित सरकारी कर्मचारी, निकाय बोर्ड एवं निगमों के कर्मचारियों और पेंशनरों को उपचार की बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम यानी आरजीएचएस लागू की थी. अब इस पर ब्रेक लगता हुआ दिखाई दे रहा है. राज्य के अधिकतर जिलों में इस योजना से जुड़े मेडिकल स्टोरों का भुगतान नहीं होने के चलते दुकानदारों ने दवाई देना बंद कर दिया.


इस कारण पेंशनर्स को सर्वाधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है. प्रदेशभर के करीब सभी मेडिकल स्टोरों के 50 करोड़ से अधिक का भुगतान राज्य सरकार द्वारा पिछले कुछ महीनों से नहीं किया जा रहा है. भुगतान नहीं मिलने के चलते मेडिकल स्टोर पर इस योजना के तहत दवाई देना बंद कर दिया. 


राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम की खास बातें


राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में करीब 13 लाख से अधिक लाभार्थी परिवार इनडोर, आउटडोर और जांच की कैशलेस चिकित्सा सुविधा सभी राजकीय अस्पतालों, अनुमोदित निजी हॉस्पिटल और निजी जांच केंद्रों में लाभ उठा रहे हैं. सरकार ने इस योजना में 1 जनवरी 2004 के पूर्व नियुक्त कर्मचारियों और पेंशनरों को असीमित मात्रा में आउटडोर की सुविधा मिलेगी. वहीं 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों को विकल्प लेने पर 5 लाख रुपए तक की कैशलेस आईपीडी उपचार सुविधा मिल सकेगी.


साथ ही क्रिटिकल बीमारियों के लिए 5 लाख रुपए तक की अतिरिक्त चिकित्सा सुविधा और 20 हजार रुपए तक की वार्षिक सीमा की आउटडोर चिकित्सा सुविधा का लाभ भी मिल सकेगा. वहीं जिन कर्मचारियों को वर्तमान में 3 लाख रूपए तक के बीमा धन की सीमा में केवल आईपीडी की सुविधा उपलब्ध है, उन्हें आरजीएचएस में भी यह सुविधा पूर्व की भांति निःशुल्क प्राप्त करने का विकल्प भी मिलेगा.


क्या बोले पेंशनर, नहीं आती ओटीपी


पेंशनर समाज के अध्यक्ष रामेश्वर मीणा ने बताया कि मेडिकल की निजी दुकानों पर सर्वर की खराबी के कारण कई बार परेशानी होती है. कई बार ओटीपी के अभाव में दवा नहीं मिल पाती है. इससे सभी पेंशनर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सर्वर के कारण कई बार दवा पर्चियां समय पर अपलोड नहीं हो पाती है. जबकि मेडिकल स्टोर संचालकों का कहना है कि सरकार ने आदेश जारी करते हुए हमें सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाया और उसके माध्यम से हमने राजकीय कर्मचारियों को इस योजना के तहत दवा उपलब्ध करवाई. सरकार ने कुछ महीनों तक तो भुगतान किया लेकिन कुछ महीने बाद यह भुगतान बंद कर दिया. इस वजह से मेडिकल स्टोर भी लंबाबंद हो गए और उन्होंने इस योजना के तहत दवाइयां देना बंद कर दिया. 


बड़े शहरों में 10 करोड़ तक पहुच चुका है बकाया


राजस्थान के बड़े शहरों में इस योजना के तहत मेडिकल स्टोरों पर दवाइयां उपलब्ध करवाई गई. भुगतान बंद होने के चलते बड़े शहरों की दुकानों में अब 10 करोड़ तक के ऊपर का बकाया हो चुका है. जोधपुर जिले में 135 दुकानों का 15 करोड़ से ज्यादा बकाया चल रहा है. वहीं भरतपुर जिले में 139 दुकानें हैं, यहां 10 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है. कुछ दुकानदारों ने बकाया के कारण दवा देने से इनकार कर दिया. बीकानेर जिले में 177 दुकानें हैं, यहां करीब 7 करोड़ रुपए बकाया है. सीकर जिले में 23 दुकानों के तीन माह से 15 से 20 लाख रुपए बकाया है. कोटा, अजमेर, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी जैसे जिलों के हाल खराब हो चुके हैं. 


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