Rajasthan News: राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक व राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल (MP Hanuman Beniwal) ने शुक्रवार को लोकसभा में एक टीवी के सीरियल अहिल्याबाई (Serial Ahilyabai) के 17 नवम्बर के शो में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal, the founder of Bharatpur) के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का मामला सदन में उठाया गया. उन्होंने कहा कि सूरजमल को लेकर गलत कहानी दिखाई गई जिसका चैनल ने गलत टेलीकास्ट किया.
उन्होंने कहा कि एक टीवी के सीरियल में महाराजा सूरजमल का कार्य बताने की कोशिश की गई है जिसको लेकर महाराजा सूरजमल में आस्था रखने वाले जाट सर्व समाज में भारी रोष है. इस सीरियल को बैन किया जाना चाहिए. साथ ही इस सीरियल के निर्माता निर्देशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर 17 नवंबर के अहिल्याबाई सीरियल के शो को सभी प्लेटफार्म से हटाना चाहिए.
सांसद हनुमान बेनीवाल ने सदन में कहा कि महाराजा सूरजमल कोई भी युद्ध नहीं हारे थे. उनके इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें कायर बताने की कोशिश की जा रही है. सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए फिल्म और टीवी सीरियल के जरिए इतिहास के साथ छेड़छाड़ की जाती है. इसका समाज पर बुरा असर पड़ता है. इससे पूर्व भी पानीपत फिल्म में महाराजा सूरजमल के इतिहास को गलत रूप से पेश किया गया था जिसको लेकर सड़कों से सदन तक विरोध प्रदर्शन हुआ. वे देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से मिले उसके बाद वह दृश्य हटाए गए.
कभी नहीं हारे महाराजा सूरजमल
राजा बदन सिंह के पुत्र महाराजा सूरजमल ने 17वीं सदी में भरतपुर की स्थापना की थी. उन्होंने अपने छोटे से साम्राज्य का विस्तार कर उसे काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया था. महाराजा सूरजमल के साम्राज्य का मथुरा, आगरा, बागपत, मेरठ और बरेली तक विस्तार था. वहीं गंगा और यमुना नदी भी महाराजा सूरजमल के साम्राज्य में शामिल थीं. महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन काल में 80 युद्ध लड़े और सभी युद्ध उन्होंने जीते थे. इतिहास में महाराजा सूरजमल एक मात्र ऐसे राजा और योद्धा रहे जो कभी भी युद्ध नहीं हारे. महाराजा सूरजमल ने हमेशा दीन दुखियों, दलितों और स्त्रियों की रक्षा की थी.
दिल्ली पर फतह किए थे महाराजा
देश में जब मुगलों का आतंक बढ़ रहा था उस समय दिल्ली के बादशाह ने एक हिंदू लड़की को बंधक बना लिया और उससे शादी करना चाहता था. लड़की की मां ने सभी जगह गुहार लगाई लेकिन सभी जगह से निराशा हाथ लगी तो थक हारकर उसने खून से पत्र लिखकर अपनी पुत्री की इज्जत की रक्षा के लिए महाराजा सूरजमल से गुहार लगाई. इसके बाद महाराजा सूरजमल ने दिल्ली के बादशाह के पास दूध भेजकर लड़की को तुरंत रिहा करने की मांग की लेकिन बादशाह ने महाराजा सूरजमल के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
इसके बाद हिंदू लड़की की इज्जत बचाने के लिए महाराजा सूरजमल ने दिल्ली पर फतह किया और जब दिल्ली के बादशाह को मौत के घाट उतार रहे थे तो उसी दौरान बादशाह की बेगम ने तलवार के आगे आकर कहा कि मेरे शौहर की जान बख्श दो जिसके बाद बादशाह की जान बख्श दी गई, लेकिन उसी दौरान साजिश के चलते बादशाह ने महाराजा सूरजमल को सोते समय मौत के घाट उतार दिया था. इसका बदला लेने के लिए महाराजा सूरजमल के पुत्र जवाहर सिंह ने दिल्ली पर आक्रमण किया और दिल्ली को फतह कर लिया था.
इस वजह से रखते थे अपनी पहचान
इतिहास में दर्ज महाराजा सूरजमल के बारे में जानकारी यह है कि वे हिंदू धर्म की रक्षा और महिलाओं की इज्जत की रक्षा के लिए पहचान रखते थे. वे शरण में आए दुश्मनों की भी रक्षा करने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं. पानीपत युद्ध में मराठा राजा हार चुके थे और उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी बच्चे और सेना घायल हालत में जान बचाकर भागी थीं. महाराजा सूरजमल और उनकी धर्म पत्नी रानी किशोरी देवी ने उन सभी घायलों को अपने राज्य में शरण दी. बताया यह भी जाता है कि करीब 1 महीने तक उनका इलाज भी करवाया गया, उनकी सुरक्षा की गई और ठीक होने के बाद अपनी सेना की सुरक्षा के बीच उन सभी को उनके साम्राज्य में धन-दौलत देकर भेज दिया गया.
साम्राज्य में समानता का अधिकार
महाराजा सूरजमल के साम्राज्य में सभी को समानता का अधिकार था. हर जाति के लोगों को इज्जत और समानता का अधिकार दिया जाता था. महाराजा सूरजमल के खजांची भी अनुसूचित जाति के लोग हुआ करते थे. महाराजा सूरजमल के साम्राज्य में सभी की सुरक्षा और सभी के सम्मान ख्याल रखा जाता था. जयपुर के साम्राज्य में गद्दी दिलाने को लेकर न्याय करते हुए ईश्वर सिंह और माधव सिंह दो भाइयों में राजा बनने को लेकर युद्ध हो गया था, लेकिन महाराजा सूरजमल ने राजा बनने के हकदार बड़े भाई का साथ दिया और बड़े भाई को राजगद्दी पर बैठाया था.
क्या दिखाया गया है टीवी सीरियल में
एक टीवी चैनल पर 17 नवंबर को टीवी सीरियल अहिल्याबाई में महाराजा सूरजमल पर किए गए टेलीकास्ट शो पर विवाद शुरू हो गया था. टीवी सीरियल अहिल्याबाई में दिखाया गया कि खंडेराव यह कहते हैं कि महाराजा सूरजमल की गलत निगाह दिल्ली पर है और हमारी दिल्ली के बादशाह के साथ संधि है इसलिए हम नहीं चाहते कि दिल्ली पर महाराजा सूरजमल आक्रमण करें, अगर महाराजा सूरजमल गलत रास्ता चुनते हैं तो उनसे सावधान रहना होगा और दिल्ली के बादशाह का साथ देना होगा.