E-toilet Tender Fraud Case: महाराष्ट्र के नासिक (Nashik) में ई- टॉयलेट टेंडर धोखाधड़ी मामले (E-Toilet Tender Fraud Case) में नया मोड़ आ गया है. शिकायतकर्ता और कारोबारी सुशील पाटिल ने यूटर्न लेते हुए पुलिस से वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) के खिलाफ शिकायत वापस लेने की मंशा जताई है. राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) अध्यक्ष वैभव गहलोत सहित 14 लोगों पर धोखाधड़ी के मामले में दर्ज की गई एफआईआर (FIR) से वैभव का नाम हटा दिया गया है. मामले की जांच अब पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) करेगी. धोखाधड़ी मामले की जांच से जुड़े अधिकारी संजय सदाशिव के अनुसार शिकायतकर्ता सुशील पाटिल का पुलिस ने पूरक बयान दर्ज किया है.


ई- टॉयलेट टेंडर धोखाधड़ी मामले शिकायतकर्ता का यू टर्न


पाटिल ने मामले में वैभव गहलोत के किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है. इसलिए अब जांच में वैभव गहलोत से किसी तरह की पूछताछ नहीं की जाएगी. उन्होंने बताया कि पुलिस कमिश्नर के आदेश से अब मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को दे दी गई है. गौरतलब है कि नासिक के सुशील पाटिल नामक कारोबारी की शिकायत पर गुजरात कांग्रेस के नेता सचिन वालेरा और वैभव सहित 15 लोगों पर गंगापुर थाने में कोर्ट के आदेश से एफआईआर दर्ज की गई है.


अन्य आरोपी अहमदाबाद और जोधपुर निवासी हैं. पाटिल का दावा है कि मोटे मुनाफे का झांसा देकर उनके साथ ठगी की गई. उन्होंने 13 बैंक खातों में 3.93 करोड़ रुपए जमा कराए. मामला राजस्थान में ई-टॉयलेट (शौचालय) के ठेके से जुड़ा है. वालेरा की कंपनी को ठेका मिलना था. पाटिल ने वालेरा की कंपनी में निवेश किया. करीब 6.8 करोड़ के निवेश पर पाटिल को 19 करोड़ रुपए रिटर्न मिलने का भरोसा दिया गया था. लेकिन पाटिल को सिर्फ 40 लाख रुपए मिले. गौरतलब है कि धोखाधड़ी सामने आने के बाद से राजस्थान की सियासत गर्मा गई थी. अब वैभव गहलोत का एफआईआर से नाम हटने पर विरोधियों को धक्का लगा है. 


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शिकायत से वैभव गहलोत का नाम हटाने की जताई मंशा  


पुलिस को सुशील पाटिल ने बताया कि की गई शिकायत में वैभव गहलोत का नाम सचिन वलेरा की वजह से हुई गलतफहमी के कारण रखा गया था. लिहाजा अब वैभव गहलोत का नाम धोखाधड़ी मामले से हटाना चाहते हैं. पाटिल के अनुसार मामले का मुख्य आरोपी वालेरा अक्सर वैभव गहलोत का नाम लेता थ, जिसके कारण उसने शिकायत में वैभव का भी नाम लिया था. एफआईआर में वैभव गहलोत का नाम आने के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस बीजेपी के निशाने पर आ गई थी. 


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