Rajasthan: खेती में किसानों को सबसे बड़ी समस्या पानी की कमी से जूझना पड़ता है. इसी कारण देश के कई राज्यों में बारिश में रबी की फसल ही होती है, सर्दी की रबी काफी कम. ऐसी ही समस्या से जूझ रहे किसान के बेटे ने इस समस्या को दूर कर दिखाया है. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सीटीएई कॉलेज में इंजीनियरिंग कर रहे नारायण मेघवाल ने फलों के छिलके से एक ऐसा पाउडर बनाया जो खेती में 40 फीसदी पानी और 30 फीसदी फर्टिलाइजर की कमी को दूर कर देगा.


बड़ी बात तो यह है कि जापान की सरकार ने नारायण को वहां बुलाया और एक साल तक रिसर्च किया. अब जापान में ही कई खेती पर इस पाउडर का उपयोग किया जा रहा है. जापान ही नहीं साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, चीन सहित अन्य देशों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है.


नारायण ने एबीपी से बात करते हुए बताया कि पिता पांच बीघा जमीन पर खेती करते हैं. खेत में पानी ऐसे कुएं से आता है जिस कुएं से अन्य तीन खेतों में भी पानी जाता है. कारण है पानी की समस्या. पानी नहीं मिलने से कई बार फसल बर्बाद भी हुए. पिता ने कहा था कि अपनी पढ़ाई से ऐसा काम करना कि किसानों की पानी की समस्या दूर हो जाए. फिर कॉलेज में प्रथम वर्ष से ही इसी में जुड़ गया. फिर अलग-अलग प्रयास करते हुए फलों के छिलकों के उपयोग से पानी की कमी दूर होना पाया गया. इसमें कुलपति प्रो. एनएस राठौड़, प्रो. माथुर ने गाइड किया था.


नारायण ने आगे बताया कि इसका पेटेंट करवाया और बेस्ट इनोवेशन में राष्ट्रपति से अवार्ड भी मिला. फिर जापान से कॉल आया और वहां उनकी फंडिंग से एक साल तक रिसर्च किया. वहां की कंपनियों ने इस तकनीक को खरीदने के लिए ऑफर भी किया लेकिन मन में सोचा कि यह प्रोडक्ट जापान से इंडिया नहीं इंडिया से बनकर जापान में जाना चाहिए तो उन्हें मना किया.


नारायण ने आगे बताया कि इस प्रोडक्ट का उपयोग 5000 किसानों ने 4 हजार एकड़ जमीन पर उपयोग किया और 600 मिलियन लीटर पानी बचाया और करीब 25 फीसदी फसल में फायदा हुआ. यानी जिस खेत को फसल के लिए 5 सिंचाई की जरूरत थी उसका 3 सिंचाई में काम हो गया, क्योंकि पाउडर जमीन में नमी बनाता है. 
नारायण ने आगे कहा कि फलों के छिलके लेकर उन्हें सुखाते हैं और फिर पाउडर बनाकर आगे की प्रोसेस करते हैं. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति नरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि छात्र नारायण प्रोफेसर की मदद से काफी अच्छा रिसर्च किया है. इससे किसानों की सबसे बड़ी समस्या पानी की कमी को दूर किया जा सकता है. विश्वविद्यालय से भी किसानों को यह पाउडर रिसर्च के तौर पर दिया गया है जिसमें सफलता मिली.


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