Rajasthan News: कहां से आ रहे हैं भारी मात्रा में मोर के पंख, हर जगह फल-फूल रहा है कारोबार
Peacock: राष्ट्र पक्षी मोर के पंख के कारोबारी हर जगह मिल जाएंगे. इस पंख का कई लोग व्यापार भी करते हैं. मोर के पंख मात्र दो से पांच रूपए में बेचे जा रहे हैं.
Peacock feather: राष्ट्र पक्षी मोर कि पंख आमतौर पर आपको हर जगह मिल जाएंगे. इस पंख का कई लोग व्यापार भी करते हैं. मारवाड़ में मोर पंख की कीमत सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. मात्र दो से पांच रूपए में इसको बेचा जा रहा हैं. कई लोग इसको बेचकर रोजगार भी चला रहे हैं. बाजार में इतनी भारी मात्रा में मोर पंख कहां से आ रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं की राष्ट्रपक्षी मोर का शिकार करके उनके पंख को तोड़ा तो नहीं जा रहा है.
क्या है खासियत
ऐसा सवाल हर किसी के जेहन में बना हुआ है. लेकिन कोई भी बोलता नहीं है. मोर की खूबसूरती उसके पंखों से हैं. जब मोर पंख फैलाकर नाचता है तो हर कोई उसे देखकर आकर्षित होता है. राष्ट्र पक्षी मोर के पंख की मांग देश व विदेशों में बढ़ रही है. साथ ही अंधविश्वास के चलते राष्ट्र पक्षी मोर शिकारियों व वन्यजीव तस्करों के निशाने पर हैं. पुराने समय की बात करें तो खूबसूरत मोर पंख से कई ग्रंथ लिखे गए हैं. मोर के विषय में माना जाता है कि यह पक्षी किसी भी ऐसे स्थान पर भ्रमण करता है तो उस स्थान पर बुरी शक्तियां और प्रतिकूल चीजों के प्रभाव से बचा कर रखता है. यही वजह है कि अधिकांश लोग अपने घरों में मोर के पंख सजाकर रखते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़ें
2018 की गणना के अनुसार आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में अब 6,07,360 लाख मोर ही बचे हैं. अलवर में 12,518, अजमेर में 8,760, बांसवाड़ा में 13,657, बारां में 87,001, भरतपुर में 2,353, धौलपुर में 6,210, करौली में 7,119, भीलवाड़ा में 15,825, बीकानेर में 12,737, बूंदी में 2,042, चित्तौड़गढ़ में 708, चूरू में 12,043, दौसा में 20,778, डूंगरपुर में 25,487, हनुमानगढ़ में 2,591, जयपुर में 4,838, जैसलमेर में 23,557, जालौर में 50,828, झालावाड़ में 968, झुंझुंनू में 14,804, जोधपुर में 95,170, कोटा में 843, नागौर में 19,811, पाली में 40,311, प्रतापगढ़ में 4,291, राजसमन्द में 50,357, सवाईमाधोपुर में 817, सीकर में 12,571, सिरोही में 43,145, श्रीगंगानगर में 1,773, टोंक में 754 और उदयपुर 2,313 हैं.
कब मोर बना राष्ट्रीय पक्षी
मोर राष्ट्र पक्षी होने के साथ ही मोर को सरंक्षित प्रजातियों में भी शामिल किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था. इसके बाद केंद्र सरकार वन्य जीव संरक्षण कानून में संशोधन कर मोर का शिकार करने पर पाबंदी लगा दिया गया था. लेकिन मोर को संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. प्रतिवर्ष देश में मोर का सर्वे क्या जाता है. लेकिन पिछले दो सालों से सर्वे कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते नहीं हुआ है.
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