Bharatpur News: राजस्थान का पूर्वी द्वार कहे जाने वाले भरतपुर में 2018 के विधानसभा चुनाव में जिले की सातों सीटों पर बीजेपी का सफाया हो गया था. अब 2023 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है.
अभी कुछ दिन पहले दौसा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को सम्बोधित किया था और 16 मार्च को भरतपुर में भारतीय जनता पार्टी के जनाक्रोश हल्लाबोल कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने जनसभा को सम्बोधित कर लोगों से भारतीय जनता पार्टी को जिताने की अपील की.
19 जिले बनने की घोषणा से बदले समीकरण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजस्थान में 19 नए जिले बनाने की घोषणा से अब राजनीतिक समीकरण भी बदलने लगे हैं, जहां कई विधायक नये जिले बनाने के लिए लम्बे समय से मांग कर रहे थे वहीं अब उनकी मांग पूरी होते ही कांग्रेस पार्टी के साथ ही स्थानीय विधायक को भी आने वाले चुनावों में जनता का समर्थन मिलेगा.
भरतपुर के डीग उपखण्ड को जिला बनाने से डीग क्षेत्र के लोग काफी खुश हैं. लोग आतिशबाजी कर लड्डू बांटकर डीग को नया जिला बनने की ख़ुशी का इजहार कर रहे हैं.
कामां के लोग उतरे सड़कों पर
भरतपुर जिले के कामां और बयाना उपखण्ड को भी नया जिला बनाने के लिए कई दिन से लोग आंदोलन कर रहे थे. कामां के लोग जयपुर तक प्रदर्शन कर कामां को जिला बनाने की मांग करने गये थे लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा कल नये जिलों की घोषणा में कामां नाम नहीं होने पर स्थानीय लोग सड़क पर उतर आये और आज सुबह कामां के लोग एकत्रित होकर स्थानीय विधायक एवं राज्यमंत्री जाहिदा खान का घेराव करने के लिये चल दिये.
बड़ी मुश्किल से पुलिस व प्रशासनिक अधिकारीयों ने समझाइश की और उनको राज्यमंत्री के निवास का घेराव करने से रोका. समाजसेवी विजय मिश्रा ने कहा की अगर स्थानीय विधायक मुख्यमंत्री को कामां को जिला नहीं बनाने पर अपना इस्तीफा नहीं सौंपती हैं तो आंदोलन का बिगुल बजाया जाएगा और विधायक के खिलाफ आंदोलन किया जायेगा.
क्या कहना है राजनीतिक लोगों का
97 वर्षीय पूर्व सांसद पंडित राम किशन का कहना है कि डीग जिला बनने से कांग्रेस और स्थानीय विधायक विश्वेंद्र सिंह को फायदा होगा क्योंकि मेवात क्षेत्र के लोग जो पहले अपनी शिकायत के लिए जिला पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर से संपर्क करने के लिए लगभग 60 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करते थे अब वह केवल 30 से 40 किलोमीटर में ही अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.
वे जिला मुख्यालय तक आने-जाने का खर्च बचा सकते हैं. छोटा जिला होने से अपराधों पर अंकुश लगेगा. आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाने वाला मेवात क्षेत्र पुलिस द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नए जिले को लेकर मंत्री विश्वेंद्र सिंह सहित कांग्रेस पार्टी को लोगों का समर्थन मिलेगा.
'जो जनता के लिए काम करेगा, फायदा उसी को होगा'
वहीं, 95 वर्षीय राजस्थान के पूर्व राजस्व मंत्री नत्थी सिंह का कहना है कि नया जिला बनने से लोगों को लाभ तो पहुंचता है. एसपी और जिला कलेक्टर के लिए ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ता है. हालांकि नया जिला बनने से इतना फर्क राजनीति में नहीं होगा. फायदा उसी को मिलेगा जो जनता के बीच में घुसकर मेहनत करेगा.
लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जो नए जिले बनाये हैं उससे कांग्रेस पार्टी को फायदा होगा क्योंकि राजस्थान में जितने भी नये जिले बनेंगे उनमें विकास होगा. छोटा जिला होने से क्राइम को भी कंट्रोल किया जा सकता है.
चुनावों में मजबूती से उभरेगी कांग्रेस
डीग तहसील के अंतर्गत लगभग 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं जो लंबे समय से डीग को जिला बनाने की मांग कर रहे थे. उनका सपना मुख्यमंत्री ने पूरा किया है. जानकारों की मानें तो नए जिले की सौगात से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी मजबूती से उभरेगी. डीग को नया जिला बनाने से डीग जिले में यहां कुम्हेर-डीग, नगर और कामां के रूप में तीन विधानसभा सीट होंगी.
नए जिले के लोग निश्चित रूप से विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करेंगे. भरतपुर जिले में अभी तक इंडस्ट्री लगाने में और अन्य विकास कार्य में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और ताज ट्रेपेज़ियम जोन के कुछ अवरोधों के कारण रोक लग जाती थी लेकिन अब डीग को नया जिला बनाने से उस क्षेत्र में विकास हो सकेगा क्योंकि डीग जिला सभी बाधाओं से बाहर होगा.
2018 के विधानसभा चुनाव में भरतपुर की 7 विधानसभा सीट में से 4 पर कुम्हेर-डीग, कामां, रूपबास-बयाना, वैर से कांग्रेस के प्रत्याशी और 2 पर नदबई और नगर सीट पर बहुजन सामजपार्टी के प्रत्याशी और भरतपुर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल-कांग्रेस के गठबंधन पर राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. बाद में बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में विलय कर कांग्रेसी हो गए थे. इस प्रकार सभी सातों सीटों पर कांग्रेस के ही विधायक हो गए थे और बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था.
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