Rajasthan New District: भरतपुर का डीग बना नया जिला, रियासत काल में था राजधानी, जानें इस ऐतिहासिक शहर की खासियत
Rajasthan New District: राज्य सरकार द्वारा डीग को नया जिला बनाने के पीछे ख़ास वजह यह भी है कि डीग इतिहास में जाट राजाओं के लिए सबसे पहली भूमि रही है, जहां से इन्होंने अपनी रियासत की शुरुआत की थी.
Rajasthan New District Formation: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में राजस्थान में 19 नये जिला बनाने की घोषणा की है. इसमें भरतपुर के डीग उपखंड को भी नया जिला बनाने की घोषणा की है. भरतपुर जिले के कामां, रूपवास, बयाना और डीग को जिला बनाने को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा कई दिनों से धरना प्रदर्शन किये जा रहे थे, लेकिन सीएम गहलोत ने बजट रिव्यू में आज डीग को जिला बनाने की घोषणा कर दी है.
राजस्थान के भरतपुर जिले का डीग प्राचीन ऐतिहासिक शहर है. रियासत काल में डीग को भरतपुर प्रान्त की पहली राजधानी राजा ठाकुर बदन सिंह ने बनाया था.
डीग भरतपुर से 34 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. डीग पर्यटन की दृष्टि से भी जाना जाता है. डीग के जलमहल और डीग के रंगीन फव्वारे और सुन्दर बगीचे के कारण सौन्दर्य के लिए विख्यात है. डीग के किले का निर्माण राजा बदन सिंह के पुत्र महाराजा सूरजमल ने कराया था.
जाट बाहुल्य जिला भरतपुर को माना जाता था, लेकिन अब जाट बाहुल्य दो जिले हो जायेंगे जिसमें डीग भी शामिल होगा. कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह पूर्व राजवंश के सदस्य और महाराजा सूरजमल की 14वीं पीढ़ी हैं, उन्होंने अपनी राजनैतिक दूरदर्शता को देखते हुए. दो जाट बाहुल्य जिले स्थापित करने का सपना पूरा किया है. कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को पूर्वी राजस्थान का कदावर नेता माना जाता है. जाट ही नहीं, 36 कौम के लोग मंत्री विश्वेन्द्र सिंह का सम्मान करते हैं और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह भी जाति-धर्म की राजनीति नहीं करते. वो भी क्षेत्र की 36 कौम के लिए सुख दुःख में हमेशा आगे रहते हैं.
राज्य सरकार द्वारा डीग को नया जिला बनाने के पीछे ख़ास वजह यह भी है कि डीग इतिहास में जाट राजाओं के लिए सबसे पहली भूमि रही है, जहां से इन्होंने अपनी रियासत की शुरुआत की थी. ख़ास बात यह भी है कि डीग का अउ जाट रियासत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. हालांकि, यह एक टीलानुमा इलाका है. अउ के टीले पर बैठकर यहां के जाट शक्तिशाली लोग मुगलों के उत्तर से दक्षित और पूर्व से पश्चिम होने वाले व्यापार में बाधा उत्पन्न कर देते थे, जिसकी वजह से मुग़ल राजपूत सहित देश की सभी रियासतों की नाक में दम कर दिया था.
डीग की लाखा तोप
महाराजा सूरजमल के समय बनाई गई लाखा तोप के बारे में बताया जाता है कि इस टॉप का बजन एक लाख किलो है. इसलिए इसे लाखा तोप कहा जाता है. इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर तक की बताई जाती है. यह दुनिया की विशालतम तोपों में से एक मानी जाती है. इसका इस्तेमाल 1761 में एक बार किया गया था. डीग से लाखा तोप से दागा गया गोला आगरा किले की दीवारों पर जाकर गिरा और आगरा किले के दरवाजा टूट गया. लाखा तोप चलने से इतनी तेज आवाज हुई की मुग़ल शासकों ने भयभीत होकर महाराजा के आगे आत्मसमर्पण कर दिया.