Rajasthan News: राजस्थान के बूंदी के सरकारी अस्पताल (Bundi Govt Hospital) में आरएमआरएस (RMRS) के जरिये अस्थाई तौर पर कार्यरत कर्मचारियों (Temporary Workers) को हटा देने से व्यवस्था (System) गड़बड़ा गई है. अस्थाई तौर पर लगे 21 कर्मचारियों को हटाया गया है. हटाए गए कर्मचारियों में सोनोग्राफी (Sonography), आइसोलेशन वार्ड (Isolation Ward), ओपीडी (OPD) में लगे तीन हेल्पर, दो धोबी, मदिर मिल्क बैंक में कार्यरत चतुर्थश्रेणी कर्मचारी, ट्रॉमा वार्ड (Trauma Ward) में लगे छह चौकीदार, लेबर रूम में लगी चार महिला स्वीपर, आईसीयू (ICU) में लगी महिला स्वीपर, प्राइवेट वार्ड (Private Ward) में लगे दो सफाईकर्मी, ब्लड बैंक (Blood Bank) का सफाईकर्मी और एक्सरे का रेडियोग्राफर शामिल है. मरीज के लिए परिजन ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करते दिख रहे हैं. वहीं,परिसर में आवारा मवेशियों ने डेरा डाल दिया है.


सोनोग्राफी सेंटर से कर्मचारी के हटाने के बाद अव्यवस्थाओं का अंबार सा लग गया है. यहां अमूमन सौ से सवा सौ रोगी रोज सोनोग्राफी के लिए आते हैं. भीड़भाड़ के कारण रोगियों की केयर नहीं हो पा रही है. कर्मचारी हटने से अब कोई रोकने-टोकनेवाला नहीं है, ऐसे में रोगियों की भीड़ अंदर घुस आती है. भीड़ के कारण संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.




यही हाल आईसीयू का है. कर्मचारी हटने से यहां गंभीर रोगियों की केयर नहीं हो पा रही है. उनके लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लाना, ट्रीटमेंट की व्यवस्था कराना, चादर बदलना और रोगी को स्ट्रेचर पर लाना-ले जाना सहित तमाम व्यवस्थाएं अब मरीजों के परिजनों को ही करनी पड़ रही हैं. जिन रोगियों के परिजन नहीं होते उनके सामने काफी समस्या रहती है. गार्ड नहीं होने से आए दिन चोरियों के मामले भी सामने आ रहे हैं.


ट्रॉमा वार्ड में ऐसा है हाल


ट्रॉमा सेंटर में अमूमन रोज 10 से 15 इमरजेंसी केस रोज आते हैं. यहां जो चिकित्सा कर्मचारी बचे हैं, उनकी रोगियों को देखकर सांसें फूली रहती हैं क्योंकि गार्ड और अन्य कर्मचारी हटने से सारा भार उन्हीं पर आ गया है. इमरजेंसी में परिजनों का आना मना है, ऐसे में हटाए गए कर्मचारी ही व्यवस्था देखते थे. गार्ड के रहने से चोरी भी नहीं होती थी. इसी तरह आईसीयू बच्चा वार्ड, ओपीडी, प्राइवेट वार्ड, पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड और एमटीसी में कर्मचारी हटने के बाद इन वार्डों की व्यवस्थाएं बदहाल हो गई हैं. रोगियों की न तो चादरें बदली जा रही हैं और न ही उनकी केयर हो पा रही है.


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इन कर्मचारियों को हटाया गया


ओपीडी में हेल्पर महावीर बैरवा, आइसोलेशन वार्ड के हेल्पर जोगेंद्र खींची, सोनाग्राफी में लगी हेल्पर रेखा गोस्वामी, एक्सरे के रेडियोग्राफर शहाबुद्दीन गौरी, लॉडरी के धोबी राजकुमार और निक्कीकुमार वर्मा, मदर मिल्क बैंक की चतुर्थश्रेणी कर्मचारी ममता, ट्रॉमा वार्ड के छह चौकीदार गायत्री मेघवाल, नंदेश दीक्षित, विजय सिंह, नासिर हुसैन, अर्जुन श्रृंगी, दीपक आर्य, लेबर रूम की स्वीपर इंद्राबाई, लेबर रूम की स्वीपर ममताबाई और विमला गोचर, आईसीयू वार्ड स्वीकर हेमंत सोलंकी, लेबर रूम स्वीपर लक्ष्मीबाई, प्राइवेट वार्ड के सफाईकर्मी महावीर सैनी और रेखा हरिजन, ब्लड बैंक के सफाईकर्मी तेजमल बैरवा को असपताल से हटा दिया गया है.


मरीज ने बताई आपबीती


महावीर कॉलोनी के तरुण कुमार ने बताया, ''तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती हुआ था. मेरे साथ कोई नहीं था. अस्पताल में न गार्ड की व्यवस्था है. हमें खुद ही चादर बदलना पड़ रहा है. लगता नहीं यह कि ए श्रेणी का अस्पताल है. मेडिकल संबंधित सारी चीजें खुद ही लानी पड़ीं.'' वहीं, पीएमओ डॉ. राकेश तनेजा ने बताया कि बजट की व्यवस्था नहीं होने के चलते इन कर्मचारियों को हटाया गया है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी हटने के बाद व्यवस्थाओं में दिक्कत आ रही है, जिसे लेकर कलेक्टर और जयपुर के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.


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