Tapi Bawdi Jodhpur: केन्द्र सरकार द्वारा देशभर में जलाशयों, एनिकट का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही पुरातन काल के जलाशयों, बावड़ियों का पुरूद्धार किया जा रहा है. इसी क्रम में जोधपुर के भीतरी शहर में स्थित ख्याति प्राप्त जलाशय तापी बावड़ी का पुनरूद्धार किया जा रहा है. दरअसल केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरीए इस कार्यक्रम से जुड़े और कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान जोधपुर के ऐतिहासिक जलाशय, कुएं बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. जिसकी शुरुआत आज अपने शहर से की गई है. विश्वराज समूह लखानी परिवार और एबीएमएम माहेश्वरी रिलीफ फाउंडेशन मुम्बई के सहयोग से तापी बावड़ी का पुनरूद्धार किया जा रहा है.


1618 में बावड़ी का निर्माण
तापी बावड़ी का निर्माण 2 नवबंर 1618 में जोधपुर रियासत के दीवान वीर गिरधरजी व्यास के छोटे भाई नाथोजी व्यास ने अपने पिता तापोजी की स्मृति में कराया था. जब बावड़ी का निर्माण हुआ, तब यह छह खंड (करीब 250 फीट) लंबी और छह खंड गहरी थी. इसकी बाहर से चौड़ाई 40 फीट है. इतिहासकार मुहता नैणसी के अनुसार यह साठ पुरुष गहरी (करीब 360 फीट) है. तापी बावड़ी के निर्माण में चार वर्ष का समय और उस समय 71 हजार एक रुपया खर्च आया था. जब तापी बावड़ी का निर्माण हुआ था, तब इसे देखने के लिए लोगों में बड़ा उत्साह था. एक कहावत तब से प्रचलित है, तापी बावड़ी अर निमलो कुओ, नीं देख्यौ सो जीवतो ई मुऔ. उन दिनों जोधपुर में आने वालों के लिए मुफ्त में ठहरने के स्थान के रूप में तापी बावड़ी एक उपयुक्त स्थान था.


पहला जीर्णोद्धार
तापी बावड़ी का पहला जीर्णोद्धार वर्ष 1925-1926 में हुआ था. बावड़ी के पड़ोसी हरनाथ पुरोहित, मगनराज व्यास और समाजसेवी रामप्रताप बोड़ा उस सफाई और जीर्णोद्धार कार्यक्रम से जुड़े प्रमुख लोगों में थे. रामप्रताप बोड़ा का निधन तो जीर्णोद्धार के बीच बावड़ी में ऊपर से पत्थर गिरने के कारण 5 सितंबर 1926 को हो गया था. उस जीर्णोद्धार से पहले बावड़ी चारों तरफ से खुली थी. तब बावड़ी का मुख्य द्वार और चारदीवारी बनवाई गई थी, जो आज 96 साल बाद भी मौजूद है.


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अब पुनरुद्धार
स्थानीय सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत वर्ष 2019 में कार्तिक पूर्णिमा पर तापी बावड़ी पर दीपदान कार्यक्रम में आए थे. उन्होंने इसके पुनरुद्धार का आश्वासन दिया था. अब 403 वर्ष पुरानी तापी बावड़ी का विधिवत मंत्रोचारण, यज्ञ, वास्तु और जल पूजन के साथ शुरु हो गया. शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर अमृत सरोवर तापी बावड़ी एक नया रूप लेने जा रही है. 


भव्य और कलात्मक
तापी बावड़ी भव्य और कलात्मक बनी है. इसमें कई बरामदे और दरवाजे हैं. लगभग पांच मंजिल बनी बावड़ी के सुंदर खंभों पर भव्य दरवाजे टीके हैं. बावड़ी में अनेक कलात्मक पोल बने हुए हैं. इन पोलों की छतों के अंदर के भाग में बहुत ही कलात्मक काम हुआ है.


तैराकी सीखने का स्थान
तापी बावड़ी का पानी स्वच्छ और हल्का था. क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों और सोजतिया दरवाजे तक की आबादी के लिए यह पानी पीने के लिए बांटा जाता था. हालांकि, वर्तमान में बावड़ी का पानी पीने योग्य नहीं है. अब आसपास के मोहल्ले के बच्चे यहां तैरना सीखते हैं.


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