Jaipur News: बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान (Beti Bachao Beti Padhao Campaign) के तहत, महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) ने पूरे राजस्थान में 66 लड़कियों के अनुकूल ग्राम पंचायतों को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को 20 जिलों के प्रतिनिधियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया और शेष 13 जिलों को शुक्रवार को ट्रनिंग दी जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि इस काम में हर जिले में दो ऐसी पंचायतें हैं.
जमीनी स्तर के संपर्क व्यक्ति, इस पहल पर काम करेंगे. इसके साथ ही साथिनों के एक मास्टर प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रशिक्षित किया जा रहा था. यह पहल सवाई माधोपुर जिले के सात गांवों में 2020 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थी. जिसके बाद अब इसे राज्य स्तर पर लागू किया जाएगा.
इसका उद्देश्य लड़कियों को समाज में स्वीकार करना है
अधिकारियों ने कहा कि इसका उद्देश्य यह है कि लड़कियों को समाज में स्वीकार किया जाए और शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसे समग्र विकास के लिए हर संभव मदद मिले. महिला अधिकारिता विभाग आयुक्त पुष्पा सत्यानी ने कहा, "इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि हम ऐसा वातावरण बनाना है जहां पहले बालिका को स्वीकार किया जाए, फिर उसे शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं, और उन्हें सुरक्षित महसूस कराया जाए. हम बच्चों के लिए एक उत्साहजनक वातावरण बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही हम समाज में बेटियां और उनका समग्र विकास के लिए कार्य कर रहें है."
महिला एवं बाल विभाग के सचिव दिनेश कुमार यादव ने कहा कि इस पहल में चिन्हित गांवों के साथिन, ग्राम पंचायत, संबंधित जिलों के उप निदेशक, सहायक निदेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. सचिव ने कहा कि संबंधित ग्राम पंचायतों के अधिकारियों, कर्मचारियों, ग्रामीणों, परिवारों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है.
विभिन्न अधिनियमों और प्रावधानों के बारे में कानूनी जानकारी दी गई
गुरुवार को प्रशिक्षण के तहत साथिनों को महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए राज्य में उपलब्ध योजनाओं और महिलाओं की मदद के लिए उपलब्ध विभिन्न अधिनियमों और प्रावधानों के बारे में कानूनी जानकारी दी गई. वे आगे संबंधित गांवों में विभिन्न आधिकारिक प्रतिनिधियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, एएनएम कार्यकर्ताओं, ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ समूह बनाएंगे और मुद्दों की पहचान करेंगे. ग्राम स्तर पर समूहों के गठन के बाद, गांवों में पहल को कैसे लागू किया जाए, इस पर साथिनों को एक एसओपी दिया जाएगा. प्रमुख उद्देश्यों में से एक गांवों में सुरक्षा ऑडिट करना और पंचायत के साथ पहचाने गए मुद्दों पर चर्चा करना है.
एक सुरक्षा ऑडिट महत्वपूर्ण है
प्रशिक्षण प्रक्रिया में शामिल अधिकारी ने कहा "जब तक हमारे गांव लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं, एक लड़की के अनुकूल ग्राम पंचायत बनाना बहुत मुश्किल है. असामाजिक तत्वों के संदर्भ में असुरक्षित हिस्सों की पहचान करने के लिए एक सुरक्षा ऑडिट महत्वपूर्ण है. उन्आहोंने कहा कि आगे के मुद्दों में उचित शौचालय जैसे मुद्दे स्कूलों में पेयजल की आपूर्ति के साथ-साथ पेयजल की सुविधा भी हो, ताकि शिक्षा बाधित न हो.
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