Bharatpur News: भरतपुर में इंदिरा रसोई की साफ सफाई की पोल खुल गई है. खाने के बर्तनों को सूअर चाटते हुए नजर आए हैं. किसी राहगीर ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि इंदिरा रसोई के बर्तनों को सूअर चाट रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद इंदिरा रसोई के रख रखाव पर सवाल उठने लगा है. राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कोरोना काल में गरीबों के लिए इंदिरा रसोई की शुरुआत की थी. योजना का उद्देश्य था कि कोई गरीब भूखा नहीं सोए. इंदिरा रसोई योजना के तहत महज 8 रुपए में भरपेट खाना गरीबों को मिल जाता है. 


कलेक्टर पर एनजीओ को फायदा पहुंचाने का आरोप


जिला कलेक्टर आलोक रंजन पर एनजीओ को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है. मिनी सचिवालय के गेट पर एक गुमटी नुमा बिल्डिंग में इंदिरा रसोई का संचालन होता है. इंदिरा रसोई खुलने से पहले एक महिला को राजीविका मिशन के तहत कैंटीन चलाने की अनुमति मिली थी. राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास की तरफ से हेमलता नामक एक महिला को बिल्डिंग में कैंटीन खोलने की अनुमति दी गई थी. हेमलता की कैंटीन चलने लगी तो उसके तुरंत बाद ही एनजीओ संचालक रेनू सिकरवार को इंदिरा रसोई संचालित करने की अनुमति दे दी गई.


एक बिल्डिंग में कैसे खुल गई कैंटीन और इंदिरा रसोई?


एनजीओ संचालक रेनू सिकरवार को जिला प्रशासन ने चार इंदिरा रसोई पहले से ही स्वीकृत कर रखी है और एक आश्रय स्थल का संचालन भी रेनू सिकरवार की एनजीओ करती है. 8 रुपए की कीमत पर खाना खानेवाला गरीब इंदिरा रसोई में घुसने पर भ्रमित हो जाता है क्योंकि कैंटीन का चिपका मीनू पहले ही देखने को मिल जाता है. कैंटीन में 10 रुपए की चाय और 10 रुपए का समोसा मिलता है.  


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अब कोई गरीब खाना खाने पहुंचता है तो उसको समझ में नहीं आता है कि यह इंदिरा रसोई है या कैंटीन है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सपना था कि कोई गरीब प्रदेश में भूखा नहीं सोए. इसलिए इंदिरा रसोई खोली गई. लेकिन जिला कलेक्टर चहेते एनजीओ को फायदा पहुंचाने के लिए इंदिरा रसोई के उद्देश्य को खत्म करना चाहते हैं. कैंटीन संचालक हेमलता का कहना है कि जिला कलेक्टर से कैंटीन खोलने की अनुमति मिली थी. कैंटीन में पहले अच्छी खासी बिक्री होती थी मगर जब से इंदिरा रसोई खुली है तब से कैंटीन की बिक्री कम हो गई है.


मेरी कैंटीन पर इंदिरा रसोई के बोर्ड एनजीओ संचालक रेनू सिकरवार और नगर निगम ने लगा दिए हैं. उनका कहना है कि कलेक्टर ने एक ही बिल्डिंग में इंदिरा रसोई और कैंटीन खुलवा दी है. कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि कलेक्ट्रेट के गेट पर एक बिल्डिंग बनी हुई है. बिल्डिंग में राजीविका मिशन के तहत एक महिला को कैंटीन खोलने की अनुमति दी गई थी और बिल्डिंग के दूसरे हिस्से में इंदिरा रसोई भी संचालित है. कलेक्टर गलती मानने को तैयार नहीं हैं.