Ghantiyala Temple Rajasthan: राजस्थान का दूसरा बड़ा जिला जोधपुर अपनी मीठी बोली खानपान व धार्मिक रीति रिवाज के चलते अपनी खास पहचान रखता है जोधपुर में सैकड़ों वर्ष पुराने कई मंदिर व शिलालेख मौजूद है जो यह बताते हैं कि वह कितने प्राचीन हैं. जोधपुर से 40 किलोमीटर दूर घंटियाला गांव में एक हनुमान जी का मंदिर है जिसे घंटियाला बालाजी के नाम से जाना जाता हैं.


इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है खास तौर से इस मंदिर का इतिहास व मान्यता आस्था का केंद्र बनी हुई है. देश भर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और माथा टेक कर अपनी मुराद मांगते हैं श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर माथा टेक कर कुछ भी मांगते हैं वह पूरा होता है हनुमान जी करने वाले प्रसाद में खासतौर से घंटियाला बालाजी को पसंद है गुड और गोटा जिसने भी चलाया उसकी दिल की इच्छा पूरी हुई.


भक्तों की मांग होती है पूरी
घंटियाला बालाजी मंदिर के पुजारी अशोक वैष्णव जिनकी कई पीढ़ियां बालाजी के मंदिर में सेवा कर रही है. उन्होंने बताया इस मंदिर की इतिहास और इसकी मान्यता के बारे में घंटियाला बालाजी मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह सैकड़ों वर्ष पहले इस जगह एक बड़ा शहर हुआ करता था जो कि जमीन में धंस गया और यह मूर्ति अलीग रही लोग यहां पर पूजा पाठ करते और जो भी मांगते पूरा होने लगा तो धीरे-धीरे मंदिर का विस्तार हुआ.


सैकड़ों वर्ष पहले इस प्रतिमा को जोधपुर शहर ले जाने के लिए कोशिश की गई लेकिन इस चमत्कारी प्रतिमा का किसी को पता नहीं था कि यहां पर जो प्रतिमा लगी हुई है. इस प्रतिमा में हनुमान जी का एक पाव तो जमीन के ऊपर है और दूसरा पांव जमीन के अंदर यानी पाताल लोक तक काफी कोशिश की गई आखिर का हार कर यहीं पर मंदिर बना और यह माना जाता है कि हनुमान जी यहां से जाना नहीं चाहते थे इसलिए वह यहीं रुक गए आज भी श्रद्धालु देशभर से यहां पहुंचते हैं.


हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसी सभ्यता मौजूद
मंदिर में मौजूद उमेद सिंह, यस सिंह काजु सिंह,गोविंद सिंह व उमेश सिंह ने बताया कि इस गांव का इतिहास बहुत पुराना है कई बार इस गांव में खुदाई हो चुकी है इस गांव के लोगों का मानना है कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसी सभ्यता और प्रतिमा यहां मौजूद है जिसको लेकर राजस्थान आर्कोलॉजी सर्वे के द्वारा कई दिन यहां पर खुदाई की गई जिसके प्रमाण यहां पर सब देखे जा सकते हैं सैकड़ों वर्ष पुरानी शिलालेख व कई सारी प्रतिमाएं मौजूद है वही एक स्तंभ मौजूद है जो बिना किसी केमिकल के पत्थर की एक शीला के ऊपर दूसरी शीला रखी गई है वह ना तो गिरती है ना हिलती है उसके नीचे एक पूरा महल बना हुआ है जिसके कुछ अंश जमीन के ऊपर तक दिखाई देते हैं.


40 गांव के युवा ने छोड़ा नशा
घंटियाला गांव सहित आसपास के 40 गांव के युवा अब नशा पता छोड चुके हैं साथ पीठ किसी खास दिन यहां पर सुंदर कांड का पाठ कर हनुमान जी की भक्ति में लग जाते हैं इस गांव की अधिकतर आबादी राजपुरोहित जाति के लोगों की है बाकी कुछ एक अन्य समाज के भी लोग यहां पर रहते हैं गांव से कई प्राचीन देवी देवताओं की मूर्तियों को मंडोर में स्थापित किया गया है लेकिन बालाजी की प्रतिमा को लाख कोशिश के बावजूद भी नहीं ले जाया गया


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