लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर राजस्थान में बढ़ गया विवाद, कोर्ट में रोजाना प्रोटेक्शन के लिए आ रहीं 30-50 याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के समर्थन में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था. इसमें कहा गया था कि अगर एक कपल बिना शादी के भी लंबे समय से साथ रह रहा है, तो उन्हें शादीशुदा ही माना जाएगा.
Rajasthan News: लिव इन रिलेशनशिप (Live in Relationship) को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) से एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है. यह जानकारी आपके लिए भी जरूरी है. क्या आपको पता है हाई कोर्ट की जयपुर और जोधपुर बेंच में रोजाना 30 से 50 प्रोटेक्शन की याचिका पेश की जा रही हैं? अगर पूरे प्रदेश में एक महीने की बात करे तो यह आंकड़ा 1500 से 2000 तक पहुंच जाता है. ये आंकड़े चोकाने वाले हैं.
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए हर उम्र के जोड़े शामिल हैं, जो बिना शादी के एक अग्रीमेंट के तहत एक दूसरे के साथ पति पत्नी की तरह जीवन जीना चाहते हैं. ये जोड़े अपने परिवार के लोगों से जान का खतरा बताकर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि श्रद्धा मर्डर केस में मृतका श्रद्धा और आरोपी आफताब भी लिव इन रिलेशनशिप में थे. आफताब ने पुलिस को जो बताया, उसके हिसाब से उसने श्रद्धा की हत्या कर उसकी बॉडी के 35 टुकड़े किए और फ्रिज में रख दिए. हर दिन वह कुछ टुकड़े महरौली के जंगल में फेंक कर आता था, ताकि पकड़ा ना जाए.
राजस्थान हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नीलकमल बोहरा ने बताया कि जोधपुर कोर्ट परिसर में लिव इन रिलेशनशिप के 25 से 30 दस्तावेज हर रोज तैयार होते हैं. इनमें कई शादीशुदा महिलाएं और शादीशुदा पुरुष शामिल हैं, जो अपने परिवार और बच्चों को छोड़कर किसी और के साथ रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं. यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. सुरक्षा की मांग के लिए ये दस्तावेज हाई कोर्ट में पेश किए जा रहे हैं और पुलिस उन्हें सुरक्षा भी दे रही है. बिना धर्म परिवर्तन के बालिग जोड़ों को समाज में रहने की स्वतंत्रता मिल रही है.
लिव-इन में प्रोटेक्शन की याचिकाएं बढ़ीं
राजस्थान हाई कोर्ट के अधिवक्ता निखिल भंडारी ने बताया कि धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए कठोर नियम हाई कोर्ट के जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने पायल सिंघवी के मामले की सुनवाई में बनाए थे. उसके बाद से लिव इन रिलेशनशिप के मामले अधिक बढ़ गए हैं, जिसमें महिला और पुरुष किसी अन्य धर्म के साथी के साथ रहना चाहते हैं. यह चिंताजनक होता जा रहा है, क्योंकि कुछ समय बाद यह रिश्ता बोझ बन जाता है. इसे समाज स्वीकार नहीं करता और श्रद्धा जैसे हालात पैदा होते हैं.
राजस्थान हाई कोर्ट के एडवोकेट कपिल बोहरा ने बताया कि जयपुर और जोधपुर बेंच में हर दिन 30 से 50 प्रोटेक्शन की याचिकाएं आ रही हैं, जिन्हें लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े फाइल करा रहे हैं. इनमें कई महिलाएं और पुरुष ऐसे हैं जिनके भरे पूरे परिवार हैं. वे बच्चों और पति-पत्नी को छोड़कर एक 500 रुपये के दस्तावेज भर देते हैं, जो पत्नी, बच्चों और समाज के सामने एक चुनौती बन जाते हैं. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती है.
प्यार में साथ रहने के लिए परिवार से बताते हैं जान का खतरा
जोधपुर के महामंदिर पुलिस थाना में हिन्दू संगठन क्षेत्र के लोग इकट्ठा हो गए और हंगामा करते हुए लव जिहाद का आरोप लगाने लगे. एक हिंदू परिवार में बेबस मां-बाप आंखों में आंसू लिए अपनी बात बताने को मजबूर हैं कि उनकी बेटी को एक मुस्लिम युवक उठा ले गया है. पुलिस ने परिवार और विरोध कर रहे हैं लोगों को बताया कि लड़की ने लिव इन रिलेशनशिप के कागजात बनाए हैं और उसने सुरक्षा मांगी है. लड़की ने अपने परिवार और समाज के लोगों के विरुद्ध बयान दिए हैं, जिसमें बताया है कि इन लोगों से उसकी जान को खतरा है.
राजस्थान हाई कोर्ट के अधिवक्ता भंवर सिंह लिव ने इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है और बताया कि हर दिन अपने ही परिवार से खतरा बताकर सुरक्षा मांगने वाले जोड़ों की तादाद बढ़ती जा रही है. यह सामाजिक ताना-बाना खराब कर रही है. इस पर किसी संस्था को आगे आकर पुनर्विचार के लिए उच्चतम अदालत में याचिका पेश करनी चाहिए.
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप
सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के समर्थन में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए कहा है कि अगर दो लोग लंबे समय से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं और उनमें संबंध हैं, तो उन्हें शादीशुदा ही माना जाएगा. लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें दो लोग जिनका विवाह नहीं हुआ है, वह पति-पत्नी की तरह आपस में साथ रहते हैं. यह संबंध स्नेहात्मक होता है और रिश्ता गहरा होता है. रिलेशनशिप कई बार लंबे समय तक चल सकते हैं या फिर अस्थाई भी हो सकते हैं. इस प्रकार के संबंध विशेष रूप से पश्चिमी देशों में बहुत आम हो चुके हैं. भारत में भी इसे पिछले कुछ दशकों में काफी बल मिला है, जिसका कारण बदलते सामाजिक विचार हैं, विशेषकर विवाह, लिंग भागीदारी और धर्म के मामलों में.
यह भी पढ़ें: Rajasthan Politics: मंत्री हेमाराम ने खुलकर दिया सचिन पायलट का साथ, बोले- नहीं बनाया सीएम, तो कांग्रेस को होगा नुकसान