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Marwar: मारवाड़ में शिक्षा की अलख जगाने वाले कौन थे बलदेव राम मिर्धा? जानिए- कैसे मिली उन्हें 'किसान केसरी' की उपाधि
Rajasthan: किसान केसरी बलदेव राम मिर्धा ने मारवाड़ के किसानों को उनके अधिकार के बारे में समझाया और उनको अपने हक के लिए लड़ना सिखाया, क्योंकि पहले किसानों को जमीदार खेती करने पर कुछ नहीं देते थे.
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Rajasthan News: मारवाड़ के किसानों में शिक्षा का अलख जगाने वाले बलदेव राम मिर्धा का नाम आज भी किसानों और राजस्थान के जाट समाज के दिलों पर राज करता है. बलदेव राम मिर्धा ने किसानों की समस्याओं को जाना और उसका निवारण किया. आज बलदेव राम मिर्धा की जयंती के अवसर पर जोधपुर के मिर्धा सर्कल ने एक समारोह आयोजित किया है. इस दौरान आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत, विधायक मनीषा पवार, महापौर कुंती देवड़ा, बाल संरक्षण अध्यक्ष संगीता बेनीवाल सहित किसान समाज से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. किसानों के मसीहा के रूप में बलदेव राम मिर्धा को याद किया गया.
मारवाड़ के किसानों के मसीहा बलदेव राम मिर्धा का जन्म 17 जनवरी 1889 को नागौर जिले के कुचेरा की परगना गांव में हुआ था. बलदेव राम मिर्धा ने दसवीं कक्षा पास करने के बाद जोधपुर पुलिस में हेड कांस्टेबल पद पर नौकरी की. बलदेव राम मिर्धा 24 साल में थानेदार से 34 वर्ष की उम्र में पुलिस इंस्पेक्टर और फिर पुलिस इंस्पेक्टर जनरल बन गए थे. 1947 में बलदेव राम मिर्धा पुलिस की सरकारी नौकरी से रिटायर हो गए. इसके बाद मिर्धा ने जगह-जगह किसान छात्रावास, जाट बोर्डिंग और शिक्षण संस्थान खुलवाएं
किसानों को अपने हक के लिए लड़ना सिखाया
जाट समाज के अलावा जो समाज खेती पर निर्भर थे उन समाज के लिए मिर्धा कई काम किए जिसको लेकर आज भी बलदेव राम मिर्धा को हर कोई याद करता है. मिर्धा ने सरकारी नौकरी में रहते हुए किसान का दर्द समझा और किसान के हितों में काम करने लग गए. बलदेव राम मिर्धा के द्वारा जगाई गई जागरूकता की मिसाल एक ऐसी चिंगारी है जो मारवाड़ के लाखों किसानों में आज भी अन्याय के खिलाफ चल रही है. किसानों ने बलदेव राम मिर्धा को 'किसान केसरी' की उपाधि दी थी. इस प्रकार समाज सेवा करते हुए बलदेव राम मिर्धा नागौर के लाडू में एक सभा को संबोधित कर रहे थे उसी दौरान मिर्धा को दिल का दौरा पड़ा और उनकी जान चली गई.
किसानों ने दी किसान केसरी की उपाधि
किसान केसरी बलदेव राम मिर्धा ने मारवाड़ के किसानों को उनके अधिकार के बारे में समझाया और उनको अपने हक के लिए लड़ना सिखाया. पहले किसानों को जमीदार खेती करने पर कुछ नहीं देते थे. मिर्धा ने किसानों को इकट्ठा करके उनको उनके अधिकार के बारे में बताया. धीरे-धीरे किसानों के सहयोग से मारवाड़ किसान सभा का गठन किया गया. उन्होंने गांव-गांव घूम कर किसानों को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए जागरूक किया. मिर्धा ने किसान छात्रावास भी खुलवाएं.
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