(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: राहुल गांधी के सामने आये 'शेर' और 'खरगोश', पढ़ें उनकी जुबानी पूरी कहानी
Rajasthan: सहरिया स्वांग नृत्य की टीम जयपुर आई थी. यहां पर टीम के प्रमुख नन्द किशोर धानुक ने बताया कि 20 मिनट तक राहुल गांधी के साथ हम लोगों की खूब बातें हुईं. सबसे राहुल गांधी ने हालचाल भी पूछा.
Bharat Jodo Yatra: भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान जब राहुल गांधी झालावाड़ पहुंचे तो उनका स्वागत किया गया था. इस दौरान राहुल गांधी के सामने 'खरगोश' और 'शेर' आ गया. राहुल ने उनसे पूछा कैसे हो बेटे फिर जवाब मिला की बढ़िया हूं सर, उन्होंने फिर कहा था कि पांच मिनट बाद मिलता हूं. इसके बाद राहुल गांधी ने 'शेर', 'खरगोश' आदि सभी से मुलाकात की थी. अब 'खरगोश' और 'शेर' ने पूरी बात सुनाइए है. दरअसल, राजस्थान में जब भारत जोड़ो यात्रा झालवाड़ जिले की झालरापाटन में पहुंची तो वहां पर 20 मिनट का कार्यक्रम हुआ था. इसमें सहरिया स्वांग नृत्य (sahariya swang nritya) के कलाकारों से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मुलाकात की थी. इसमें सभी कलाकार को कोई न कोई रूप दिया जाता है. वहीं इन कलाकारों में से नन्दकिशोर धानुक ने बताया कि हम लोगों को राहुल गांधी से मिलकर अच्छा लगा.
जयपुर आई थी टीम
सहरिया स्वांग नृत्य की टीम शनिवार को जयपुर आई थी. यहां पर इस टीम के प्रमुख नन्द किशोर धानुक ने बताया कि 20 मिनट तक राहुल गांधी के साथ हम लोगों की खूब बातें हुईं. सबसे राहुल गांधी ने हालचाल भी पूछा. धानुक ने बताया कि इस टीम में कोई चीता, कोई शेर तो कोई खरगोश बना था. राहुल गांधी ने नन्द किशोर धानुक से पुछा था कैसे हो बेटे ? इसके बाद 20 मिनट तक बातचीत की. खरगोश और शेर बने कलाकारों ने बताया कि उन्हें बहुत अच्छा लगा था.
क्या है सहरिया स्वांग नृत्य
राजस्थान के बारां जिले के शाहाबाद में सहरिया एक जनजातीय समुदाय है. सहरिया मूल रूप से जंगल में निवास करते थे. सहरिया शब्द हिंदी के शब्द ‘सहर’ अर्थात ‘जंगल’ से लिया गया, जिन्हें बाद में शाहाबाद और उससे जुड़े 12 गांव में उनके आधुनिकीकरण के उद्देश्य से विस्थापित किया गया. सहरिया अपने नृत्य सहरिया स्वांग के लिए जाने जाते हैं. जिसे होली वाले महीने में प्रस्तुत किया जाता है. नर्तक खुद को मंडलियों में व्यवस्थित कर लेते हैं और वे स्वांग प्रस्तुतिकरण के लिए गांव-गांव यात्रा करते हैं. यह नृत्य ढोल, नगारी और मटकी की थाप पर प्रस्तुत किया जाता है. स्वांग में महिला परिधान में पुरुष होता है, जो पुरुष कलाकारों के इर्द गिर्द नृत्य प्रस्तुत करता है. कलाकार अपने सिरों और कूल्हों को पत्तों से सजाते हैं और अपनी देह को अत्यधिक आकर्षक रंगों से रंगतें हैं. इन्ंहे सरकार ने कई सुविधाएं दे रखी है.