Kota News: दशहरा मैदान में आयोजित की जा रही आत्मनिर्भर 'भारत उत्सव प्रदर्शनी' प्रारंभ हो चुकी है, जिसमें एक से बढ़कर एक बुनकरों के उत्पाद देखने को मिल रहे हैं. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी प्रदर्शनी का लुत्फ उठाया. दशहरा मैदान में आयोजित इस प्रदर्शनी में भारत की सांस्कृतिक विरासत देखने को मिल रही है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर आयोजित इस प्रदर्शनी में करीब 15 राज्यों से आए बुनकरों और हस्तशिल्पियों ने यहां एक से एक उत्पाद प्रदर्शित किया.  


भारत के विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति और परम्पराओं से देशवासियों को परिचित करवाने, बुनकरों और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा देश भर में आत्मनिर्भर उत्सव प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. कोटा में भी लोग देश की सांस्कृतिक विविधता को देख सकें, इसके लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की पहल पर इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है.ये विशेष प्रदर्शनी लोगों पर अमिट छाप छोड़ रही है. 


प्रदर्शनी में दिखी देश की संस्कृति की झलक
प्रदर्शनी में जम्मू-कश्मीर, हरियाण, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध प्रदेश समेत 15 राज्यों के बुनकर और हस्तशिल्पी पहुंचे हैं. बुनकरों के पास जहां हस्तनिर्मित साड़ियां, चादरें, सूट, दुपट्टे, स्टोल, शॉल आदि कपड़े हैं, वहीं हस्तशिल्पियों ने भी सजावटी आभूषण, जूट से बने पर्दे, थैले, जोधपुरी मोजड़ी आदि उत्पाद प्रदर्शित किया है. इन हस्तशिल्प उत्पादों का एक से बढ़कर एक नमूना यहां देखने को मिल रहा है, कहीं कला की बारीकी है तो कहीं संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. जिसमें सालों की विरासत को करीने से संजोया गया है .


मेड इन इंडिया उत्पाद को बढ़ावा
इन उत्पादों को देखने के लिए पहले ही दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. आमजन एक ओर जहां मेड इन इंडिया उत्पादों को खरीद कर खुश थे, वहीं उन्हें इस बात की भी संतुष्टि थी कि केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की ओर से बुलाए गए शिल्पियों से उन्हें प्रामाणिक वस्तु उचित दाम पर मिल रही है. 'भारत उत्सव प्रदर्शनी' का उद्देश्य ही मेक इन इंडिया उत्पादों को बढ़ावा देना है. 


70 हजार की पिछवई पेंटिंग्स बनी आकर्षण
प्रदर्शनी में जयपुर से रामनिवास कुमावत और पार्वती कुमावत हाथों से बनी पेंटिग्स लेकर आए हैं. पिछवाई शैली में बनी इन पेंटिग्स में विभिन्न देवी-देवताओं, प्रकृति, पशु-पक्षियों को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया गया है. इनमें से कुछ पेंटिग्स की कीमत 70 हजार रुपये से अधिक है. कुमावत ने बताया कि इन पेंटिग्स को तीन चित्रकारों ने करीब एक माह की मेहनत से तैयार किया है. महंगी होने के बाद भी इनकी देश-विदेश में काफी मांग है. 


ये भी पढ़ें:


Rajasthan: उदयपुर के गोल्डन बॉय का अंतरराष्ट्रीय तैराकी के लिए चयन, लगातार 3 बार नेशनल चैंपियन रह चुकें हैं युग