Khadi Use in Medical Colleges & Hospitals: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रभावी रही खादी अब देश के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में भी दिखाई देगी. नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की पहल पर मेडिकल महकमा एक बड़ा बदलाव करने वाला है. मेडिकल विभाग में काम आने वाला कपड़ा अब खादी का होगा. इसमें डॉक्टर-नर्स की एप्रिन भी शामिल है. जल्द ही राजस्थान सहित देशभर के कई राज्यों में यह बदलाव देखने को मिलेगा.


मरीजों की बेड शीट भी खादी की
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की पहल पर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में डॉक्टर, नर्सेज, फार्मासिस्ट, मेडिकल लैब और ईसीजी टेक्नीशियन स्टाफ अब खादी से बने एप्रीन व गाउंस पहने दिखेंगे. खादी ग्रामोद्योग से मरीजों की बैड शीट, तकिया कवर, पर्दे, पेशेंट गाउन, साबुन, हैंडवाश और फिनाइल का अस्पतालों में इस्तेमाल किया जाएगा.


एनएमसी अध्यक्ष ने दी यह सलाह
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अध्यक्ष डॉ. अरुणा वी. वानिकर ने राजस्थान समेत देशभर के मेडिकल संस्थानों को खादी से बने कपड़े और उत्पादों को इस्तेमाल करने की सलाह दी है. आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय का मानना है कि इस पहल से रोजगार भी बढ़ेगा और उत्पाद ईको फ्रेंडली भी हैं. डॉक्टरों को अस्पतालों में ड्यूटी के दौरान सफेद कोट पहनना अनिवार्य होता है. ऐसे में खादी से बने सफेद कोट का उपयोग करने की सलाह दी है. इसे जल्द लागू किया जा सकता है.


खादी है पर्यावरण के लिए अनुकूल
खादी से बने उत्पाद न केवल सेहत के हिसाब से बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होते हैं. इसी बात को ध्यान में रखकर डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को ड्यूटी के दौरान खादी से बने सफेद कोट पहनने की सलाह दी है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग इस पहल के जरिए खादी और हस्तशिल्प के उत्पादों की बिक्री और रोजगार को बढ़ावा देना चाहता है.


मन की बात में खादी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कई बार खादी का जिक्र किया है. उन्होंने खादी का महत्व बताते हुए उसे अपनाने पर जोर दिया. वे खुद भी खादी के कपड़े पहनते हैं. एक समारोह में पीएम ने खादी को बढ़ावा देने के लिए नारा भी दिया था "राष्ट्र के लिए खादी, फैशन के लिए खादी". इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों ने खादी को अपनाया और देश में खादी का व्यापार बढ़ा है.


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