Beawar News: बीजेपी जिलाध्यक्ष ने दस दिन बाद तोड़ी चुप्पी, सभापति के निलंबन को बताया साजिश
बीजेपी ने कहा है कि ब्यावर नगर परिषद में सभापति का मनोनयन नहीं कर सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का मजाक उड़ा रही है.
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Rajasthan Politics: राजस्थान की ब्यावर नगर परिषद में सभापति का निलंबन होने के दस दिन बाद भाजपा संगठन का बयान आया है. भारतीय जनता पार्टी के अजमेर देहात जिलाध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा ने चुप्पी तोड़ते हुए नरेश कनौजिया के निलंबन को षड्यंत्र बताते हुए राज्य सरकार से जल्द ही कार्यवाहक सभापति के मनोनयन की मांग की है.
भूतड़ा ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
भूतड़ा ने बयान जारी कर कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए बीजेपी बोर्ड के अध्यक्ष को षडयंत्रपूर्वक निलंबित किया है. दस दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने अब तक किसी को भी कार्यवाहक सभापति नियुक्त नहीं किया है. परिषद में सभापति नहीं होने से दलालों की पौ-बारह हो रही है. कार्यवाहक सभापति के मनोयन में देरी के कारण आमजन में कई तरह की चर्चाएं होने लगी है. इन चर्चाओं से भ्रष्टाचार का अंदेशा हो रहा है. सभापति मनोनयन के लिए प्रभावी लोग बोली लगवा रहे हैं. जो ज्यादा बोली लगाएगा वो ही सभापति का ताज पहन पाएगा.
लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही कांग्रेस
भूतड़ा ने कहा कि नगर परिषद में सभापति का मनोनयन नहीं कर सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का मजाक उड़ा रही है. आज से पहले ऐसी स्थिति कभी भी नहीं रही जब इस तरह से सभापति का पद रिक्त रहा हो. जो कांग्रेस लोकतंत्र की दुहाई देती है वही लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है.
भ्रष्टाचार के आरोप में हुआ था निलंबन
बीती 17 जून को स्वायत्त शासन विभाग ने पट्टे जारी करने में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार के आरोप में ब्यावर नगर परिषद सभापति नरेश कनौजिया को निलंबित किया था. निलंबन से पहले विभाग ने सभापति को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा था. सभापति को नोटिस देने से पहले विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी ने पट्टा प्रकरण की जांच की थी. जांच में अधिकारियों ने सभापति को दोषी माना था. मामले में राज्य सरकार ने कनौजिया के खिलाफ राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (3) के तहत न्यायिक जांच के आदेश भ्री दिए.
सभापति मनोनयन का इंतजार
सभापति पद से कनौजिया का निलंबन होने के बाद सभापति की कुर्सी खाली है. अब इस कुर्सी पर कांग्रेस पार्षद बैठने की प्रबल संभावना है. वर्तमान में सभापति पद दलित वर्ग के लिए आरक्षित है. ऐसे में अभी छह पार्षद इस पद के योग्य हैं. सभी पार्षद एक्टिव मोड पर हैं और सभापति बनने की जुगत में लगे हैं. फिलहाल बीते दस दिन से सियासी नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ आमजन को सभापति के मनोनयन का इंतजार है.
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