Rajasthan News: राजस्थान में 15वीं विधानसभा के सातवें सत्र की बैठक एक बार फिर 19 सितंबर से शुरू हो रही है. संसदीय कार्य विभाग के अनुरोध पर विधानसभा सचिवालय ने सत्र की बैठक बुलाने की नोटिफिकेशन जारी कर दी है. इससे पहले बजट सत्र की बैठक 28 मार्च की शाम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी. इधर, बीजेपी ने राज्यपाल के सत्र बुलाने के अधिकार को सरकार ने अपने पास रख हुए है ऐसे आरोप लगाए जा रहे है


सत्र बुलाने का पावर रखना चाहती है सरकार


भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि राज्य सरकार ने राज्यपाल के अधिकार को अपने पास रखने का ट्रेंड बनाया है. यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का हनन है, जब से राज्य सरकार पर राजनीतिक संकट आया है, वह डरी हुई है.राज्यपाल के सत्र बुलाने के अधिकार को सरकार ने अपने पास रखा है, वह जब चाहे तब खुद सत्र बुलाने का पावर रखना चाहते हैं, हम ऐसी व्यवस्था का विरोध करते हैं और राज्यपाल को पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे.


पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि सत्र समाप्ति (सत्रावसान)  ही नही विधायकों के लोकतांत्रिक अधिकार से अपने प्रश्न पूछ सकते हैं उनको रोकने के लिए गहलोत सरकार के कई मंत्रियों पर आरोप लगे हैं. ऐसे में सरकार सिर्फ आरोपों से बचने के लिए यह तरकीब आजमा रही है, ऐसा करने से राज्यपाल के सत्र बुलाने के अधिकार का भी हनन हो रहा है.विधानसभा में इसका मुद्दा उठाएंगें, साथी विधायकों की बैठक में तय करेंगे आगे की क्या रणनीति बनानी है.


स्पीकर को विधानसभा का सत्र बुलाने का अधिकार


गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि सरकार ने बिना सत्र समाप्त हुए उसी सत्र को फिर से बुलाने का ट्रेंड बनाया है, जो गलत है पहले सत्र समाप्ति के बाद और नया सत्र बुलाने के बीच हर सप्ताह हर विधायक को एक अतारांकित प्रश्न विधानसभा में देने का अधिकार था तुरंत आने वाले विषयों को हम पब्लिक के लिहाज से भेज देते थे. उसका जवाब विभाग की ओर से आता था. जिसका सबसे बड़ा नुकसान तो विधायको को होना था जो हो गया हैं.  सत्रावसान नहीं होने पर विधायकों का अधिकार अब खत्म हो गया है. एक तरह से राज्यपाल के अधिकार को कम करने के लिए सरकार ने इसे अपने हाथ में ले लिया है. सत्र समाप्त नहीं हुआ था, तो स्पीकर को विधानसभा का सत्र बुलाने का अधिकार है, वह इसे कभी भी बुला सकता है.


विधानसभा में साल का पहला सत्र बजट सत्र होता है, जिसमें एक विधायक 100 प्रश्न रख सकता है. नियम के अनुसार एक सदस्य सदन के एक सत्र में 40 तारांकित और 60 अतारांकित प्रश्न उठा सकता है. ऐसे एक्टिव सदस्य जिन्होंने अपने सवालों का कोटा पूरा कर लिया है, उन्हें सत्र की आगामी बैठकों में प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलेगा. उनके सवाल विधानसभा सचिवालय स्वीकार नहीं करेगा. सत्र समाप्त होने के बाद नया सत्र शुरू होने के बीच हर सप्ताह 1 सवाल पूछने का अधिकार भी नहीं मिल पाएगा.


विधानसभा सचिवालय ने 19 सितंबर को सुबह 11 बजे से सदन की बैठक बुलाई है. राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग ने सत्र बुलाने के संबंध में विधानसभा को पत्र लिखा था. विधानसभा सत्र की बैठकें 19 से 24 सितंबर तक आयोजित हो सकती हैं. राजस्थान विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा की ओर से राजस्थान राजपत्र में 21 अगस्त को सत्र की बैठक बुलाने की अधिसूचना प्रकाशित की गई है. इससे पहले 28 मार्च को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर विधानसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. पिछले साल बजट सत्र 10 फरवरी 2021 को शुरू हुआ था. बजट 19 मार्च 2021 को पास हुआ था, लेकिन तब भी बजट सत्र समाप्त नहीं हुआ था. 9 सितंबर 2021 को फिर से सदन की बैठक बुलाई गई और 18 सितंबर तक बैठकें करवाई गई थी.


सख्त कानून बनाने के लिए बिल


राज्य में सामाजिक समरसता, आपसी वैमनस्य और कटुता को मिटाने के लिए चर्चा की जा सकती है। एससी-एसटी के खिलाफ होने वाले अपराधों और भेदभाव को मिटाने के लिए सख्त कानून बनाने के लिए विधेयक लाया जा सकता है. ERCP पर सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास करने की तैयारी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) पर सदन में चर्चा कर सर्व सम्मति से संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को भेज सकती है. प्रदेश में सामाजिक सद्भाव, आपसी वैमनस्य और कटुता को मिटाने के लिए चर्चा की जा सकती है. एससी-एसटी के खिलाफ होने वाले अपराधों और भेदभाव को मिटाने को लेकर सख्त कानून बनाने के लिए बिल लाया जा सकता है.


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