Jodhpur News: बीजेपी के दिग्गज जोधपुर में तैयार करेंगे OBC वोटर्स का साधने की रणनीति, 6 राज्य और लोकसभा चुनाव पर फोकस
बैठक से पहले दिन 9 सितंबर को हर प्रदेश के ओबीसी मोर्चा से जुड़े पदाधिकारी अपने राज्य की स्थिति को प्रस्तुत करेंगे. वे ओबीसी को राज्य के अनुसार पार्टी से जोड़े रखने को लेकर रणनीति से अवगत कराएंगे.
Jodhpur News: जोधपुर में बीजेपी के ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की प्रस्तावित बैठक कई मायनों में काफी अलग होगी. देश की कुल आबादी में से आधे से भी अधिक हिस्सा रखने वाले ओबीसी वोटर्स को लुभाने की नई रणनीति पर विस्तार से चर्चा होगी. इस नई रणनीति के आधार पर बीजेपी अगले वर्ष छह राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव व वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरेगी.
बीजेपी संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि किसी भी राज्य और केन्द्र में सरकार बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ओबीसी वर्ग की रहती आई है. कुल आबादी का 54 फीसदी हिस्सा ओबीसी का है. ओबीसी का एक बड़ा वर्ग हर बार चुनाव में बहने वाली हवा के आधार पर मतदान कर राजनीतिक पार्टियों के सारे समीकरण गड़बड़ा देता है. ऐसे में पार्टी का पूरा फोकस ओबीसी मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की होगी. राजनीतिक दलों में अब तक मुख्य संगठन के अलावाा युवा व महिला मोर्चा को ही महत्व मिलता आया था, लेकिन अब सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होते ओबीसी का महत्व समझ में आ चुका है. ऐसे में प्रत्येक पार्टी में ओबीसी मोर्चा की अहमियत काफी बढ़ चुकी है.
दो दिवसीय बैठक के पहले दिन 9 सितंबर को हर प्रदेश के ओबीसी मोर्चा से जुड़े पदाधिकारी अपने राज्य की स्थिति को प्रस्तुत करेंगे. साथ ही वे ओबीसी को राज्य के अनुसार पार्टी से जोड़े रखने के बारे में अपनी रणनीति से अवगत कराएंगे. दस सितंबर को बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस फीडबैक के आधार पर पार्टी की नई रणनीति को साझा करेंगे.
इन राज्यों में होने हैं चुनाव
गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश व छतीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है. इन चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव का समय आ जाएगा. लगातार चुनाव में व्यस्त रहने के कारण पार्टी संगठन के पास नई रणनीति तैयार करने का समय नहीं होगा. ऐसे में पार्टी अभी से प्रत्येक राज्य के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार कर पदाधिकारियों को सौंप देगी. ये पदाधिकारी इसके आधार पर अपने-अपने राज्य में उसे मूर्त रूप प्रदान करने में जुट जाएंगे.
देश में मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद ओबीसी जातियों का उभार बहुत तेजी से हुआ. देश की राजनीति में उनकी अहम भूमिका तय हो गई. देश की 54 फीसदी आबादी वाली ओबीसी जातियों को भी अपना महत्व समझ में आ चुका है. ऐसे में कई राज्यों में ओबीसी जातियों के बड़े समूह एकजुट होकर चुनाव में किसी एक पार्टी से जुड़ जाते है. उनके किसी एक के पक्ष में आते ही उसी पार्टी के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो जाता है. सभी राजनीतिक दलों को ओबीसी के महत्व का अहसास हो चला है. ऐसे में वे उन्हें साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. यही कारण है कि मोदी सरकार में ओबीसी से जुड़े 27 मंत्री है.
ओबीसी की बड़ी जातियों को साधने की होगी कवायद
ओबीसी में शामिल छोटे-छोटे जातीय समूह, जिन्हें मूल ओबीसी माना जाता है, मुख्य रूप से बीजेपी के वोटर्स माने जाते है. वहीं बड़े जातीय समूह बीजेपी से कभी जुड़ते है तो कभी छिटक जाते है. मसलन राजस्थान में गत विधानसभा चुनाव में जाट व गुर्जर जैसे बड़े ओबीसी समूह बीजेपी से छिटक कांग्रेस के साथ चले गए. साथ ही बीजेपी का प्रदेश में सूपड़ा साफ हो गया. ऐसे में पार्टी के रणनीतिकार प्रत्येक राज्य की बड़ी ओबीसी जातियों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर चर्चा करेंगे.
ओबीसी में शामिल जातीय समूह पहले अपनी जाति के आधार पर ही मतदान करते थे, लेकिन अब इनमें बदलाव नजर आने लगा है. अब ओबीसी के नाम पर ये जातियां एकजुट होने लगी है. गत विधानसभा चुनाव में कई सीटों के समीकरण ओबीसी के एकजुट होने के कारण बदल गए थे. बीजेपी अब ओबीसी की सोच के अनुसार खुद के संगठन में भी बदलाव को महत्व देगी.
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