Bhai Dooj 2022: देशभर में भाई दूज का त्योहार कल धूमधाम से मनाया जाएगा. पंडित सुरेश श्रीमाली ने बताया कि भाई दूज का पर्व गोवर्धन पूजा के अगले दिन मनाया जाता है. लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व एक ही दिन है. भैया दूज के दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए तिलक लगाती हैं. भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं. इस बार भाई दूज 26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 27 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी.
करें ये उपाय
भाई दूज के दिन बहन को चाहिए कि वो भाई को रक्षासूत्र और कुमकुम का तिलक करने के साथ उसे भोजन जरूर करवाएं और भाई मन चाहे उपहार के साथ बहन को प्रसन्न करें. यही इस दिन का सबसे बड़ा महत्व है.
ये है सही मुहूर्त
पंडित सुरेश श्रीमाली ने बताया कि इस बार भाई दूज के लिए शुभ का चौघड़िया दोपहर 2 बजकर 15 मिनट से 3 बजकर 15 मिनट तक. फिर इसके बाद शाम को लाभ का चैघड़िया 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. इसके बीच ही भाई-बहन का ये त्यौहार मनाएं तो श्रेष्ठ रहेगा.
धनतेरस, रूप चैदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा से चले आ रहे है. दीपों के इस त्यौहार का अंतिम दिन भाई दूज है. इस दिन शाम 9 दीप प्रज्जवलित करें और नौ ही ग्रहों से यह प्रार्थना करें कि मेरे जीवन के प्रत्येक भाव में आपकी कृपा स्थापित हो, जो इस ज्योत की तरह मेरे जीवन को प्रकाशमान करती रहे.
पंडित सुरेश श्रीमाली ने बताया कि भाई दूज के दिन जो बहनें अपने भाई से नहीं मिल पाती. इसके पीछे कई कारण हो सकते है. भाई परदेस में हो, किसी काम से एक ही शहर में ना हो तो भाई दूज का त्यौहार कैसे मनाया जाएगा. ऐसी स्थिति में रात के समय बहनें पूजा की थाली तैयार करके चन्द्रमा को कुमकुम का छिंटा चढ़ाती है, उन्हें जल का अर्ध्य देती हैं, मिष्ठान का भोग चढ़ाती हैं. चन्द्रमा भाई और बहन के बीच संदेशवाहक का काम करता है और एक तरह से उस बहन के लिए भाई का प्रतिबिम्ब बन जाता है और इस नाते चन्द्रमा और उस महिला के बीच भाई-बहन का रिश्ता बन जाता है.
यहां एक तथ्य यह भी है कि ये प्रक्रिया सूर्य के साथ में भी दोहराई जा सकती है. लेकिन ऐसा क्यो नहीं? क्योंकि सूर्य की किरणों में तेज है, उष्णता है. हम व्यक्तित्व में तो ऊर्जा चाहते है लेकिन संबंधों में शीतलता चाहते है. इसलिए चन्द्रमा इस रिश्तें के बीच संदेशवाहक बनते है इसलिए प्रत्येक दूज पर चन्द्र दर्शन का विशेष महत्व रहता है. और उस महिला के बीच भाई-बहन का रिश्ता बन जाता है.
इसलिए है चंद्र दर्शन का विशेष महत्व
यहां एक तथ्य यह भी है कि ये प्रक्रिया सूर्य के साथ में भी दोहराई जा सकती है. लेकिन ऐसा क्यो नहीं? क्योंकि सूर्य की किरणों में तेज है, उष्णता है. हम व्यक्तित्व में तो ऊर्जा चाहते है लेकिन संबंधों में शीतलता चाहते है. इसलिए चन्द्रमा इस रिश्तें के बीच संदेशवाहक बनते है इसलिए प्रत्येक दूज पर चन्द्र दर्शन का विशेष महत्व रहता है.
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