Rajasthan News: मां बाप अपने बच्चों हर खुशी देते हैं, उनका पालन-पोषण के साथ अच्छी शिक्षा देकर बच्चों को कामयाब बना कर खुश होते हैं, लेकिन वही बच्चे बूढ़े मां बाप को सहारा बनने से कतराते हैं. इसे समाज में बढ़ती कुरीति कहें या माता पिता और बच्चों के बीच रिश्तों की कमजोर होती डोर. लेकिन, इस तरह के मामलों के आंकड़े बूढ़े मां-बाप का दर्द बखूबी बयान कर रहे हैं.
आज के आधुनिक होते भारत की विडंबना यही है कि बूढ़े मां बाप का सहारा बनने वाले बच्चों की तादाद गिरती जा रही है. आज बच्चे अपने माता-पिता को एक बोझ की तरह देख रहे हैं. ऐसा बोझ जिसे वो ढोना नहीं चाहते. शायद इसी लिए श्रवण कुमार के इस भारत में मां-बाप की सेवा करने के लिए भी कानून बनाने की जरूरत पड़ी है.
जोधपुर एडीएम सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि पिछले कुछ समय से बुजुर्ग मां-बाप अपने बच्चों से गुजारा भत्ता मांगने वाले मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है. अभी इस साल में करीब 450 मामलों की सुनवाई चल रही है, जिसमें बुजुर्ग मां-बाप अपने बच्चों से अपना जीवन यापन करने के लिए गुजरा भत्ता मांग रहे हैं. ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें सक्षम परिवार भी शामिल हैं, जिनके बच्चे अपने मां बाप की सेवा नहीं कर रहे हैं लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं.
उदाहरण के तौर पर अभी कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग माता-पिता के मामले में सुनवाई की जा रही थी, जिसमें बेटे इतने लापरवाह थे कि कई बार नोटिस देने के बावजूद नहीं पहुंचे तो फैसला सुना दिया गया. इसके बाद उन्होंने तुरंत डी डी बनाकर कोर्ट में जमा करवाया कानून का डर तो है लेकिन समाज तेजी से बदल रहा है.
क्या कहता है नया कानून बुजुर्गों का परित्याग दंडनीय अपराध
- माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम-2007 के तहत वरिष्ठ नागरिक का परित्याग दंडनीय अपराध है.
- बच्चों के लिए बूढ़े माता-पिता की सेवा करना जरूरी होगा.
- ऐसा न करने पर बच्चों को जेल हो सकती है.
- माता-पिता का अपमान करना भी बच्चों को भारी पड़ेगा.
- क्योंकि ऐसा करने पर उन पर 5,000 का जुर्माना लगेगा.
- मां-बाप का अपमान करने पर 3 महीने की जेल भी हो सकती है.
- जेल होने पर जमानत पर बाहर आना भी संभव नहीं होगा.
- कानून में माता-पिता की संपत्ति के लिए प्रावधान किए गए हैं.
- जिसके मुताबिक बच्चों को संपत्ति तब मिलेगी जब माता पिता उनके साथ रहें.
- संपत्ति अपने नाम होने के बाद माता-पिता को घर से निकाला तो करार रद्द हो जाएगा.
- बुजुर्गों को भरण पोषण के लिए 10 हजार रुपये तक प्रतिमाह भुगतान का आदेश दे सकती है.
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