Rajasthan Politics: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में कांग्रेस की अग्नि परीक्षा! क्या गहलोत-डोटासरा की जोड़ी बना पाएगी ये रिकॉर्ड?
Rajasthan: साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी. इसके अलावा पार्टी के सामने विधानसभा में भी वापसी की बड़ी चुनौती है.
Rajasthan News: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की जोड़ी अभी राजनीतिक पिच पर जमी हुई है और इसी जोड़ी के कंधे पर विधानसभा का चुनाव भी है. इसके ठीक बाद लोकसभा का भी चुनाव होना है. इन दोनों नेताओं के कंधे पर दोहरी जिम्मेदारी है. ऐसे में जब पीछे मुड़कर देखा जाए तो साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार चुकी है.
राजस्थान में एक बार कांग्रेस विपक्ष तो दूसरी बार सत्ता में थी लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस बिखर गई है. यहां तक 2019 के लोकसभा चुनाव में गहलोत अपने बेटे वैभव की जोधपुर की सीट नहीं बचा पाए थे. बड़ी बात यह है कि गहलोत के सीएम रहते हुए यह सब हुआ है. जहां एक तरफ बीजेपी विधानसभा के साथ ही साथ लोकसभा की तैयारी में भी लगी है, वहीं कांग्रेस के लिए चुनौती सरकार रिपीट और शून्य को खाते में बदलने की चुनौती है.
भैरों सिंह के बाद लगा ब्रेक
पिछले ढाई दशक से राजस्थान में सरकार बदलने की परंपरा रही है. आखिरी बार 1993 में भैरो सिंह शेखावत की ही सरकार रिपीट हुई थी. उसके बाद से यह परंपरा नहीं टूट पा रही है. उसके बाद से हर बार सरकार रिपीट होने की बात कही जाती है. पूरी ताकत भी लगा दी जाती है लेकिन सरकार रिपीट नहीं हो पाती. ऐसे में कांग्रेस सरकार को रिपीट कराने के लिए अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा की जोड़ी पर सबकुछ निर्भर कर रहा है. इसके लिए गहलोत सरकार अपने बजट को हवाला दे रही है. योजनाओं पर जोर दे रही है. मगर चुनौती वही है कि क्या भैरों सिंह का रिकॉर्ड टूट पाएगा.
राहुल की यात्रा पर पीएम की रैली का काउंटर
वहीं कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उत्साहित है. राहुल गांधी देश भर में भारत जोड़ो यात्रा के लिए माहौल बना रहा है. सिर्फ राजस्थान ही में भी ये यात्रा 21 दिन चली. पूरा माहौल बनाने की कोशिश भी हुई, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की उदयपुर, भीलवाड़ा और दौसा में की गई रैली ने अलग ही माहौल बना दिया है. रैलियों के सहारे बीजेपी राहुल गांधी की यात्रा पर असर डालने की कोशिश में लगी है. वहीं बीजेपी 2023 के अलावा 2024 की भी अभी से ही जमीन तैयार कर रही है. जानकारों का कहना है कि पूरी तैयारी लोकसभा और विधानसभा की एक साथ चल रही है.
प्रत्याशी और चुनाव
कांग्रेस के यह जोड़ी कितनी मुफीद होगी यह तो समय बताएगा लेकिन इसके पहले चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन बहुत जरूरी है. जहां कांग्रेस में विधानसभा के साथ लोकसभा के चुनाव में जाने की अलग चुनौती है, वहीं दूसरे दल भी चुनावी कार्यों में लगे हैं. पिछले दो लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की कोई रणनीति काम नहीं आई है. क्या इस बार नया होगा या उसी रणनीति पर काम होगा, ये देखने वाली बात होगी.
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