Kota News: भ्रष्टाचार के मामले में जेल पहुंचे सीआई-कांस्टेबल, जमीन से कब्जा हटाने के लिए मांगी थी रिश्वत
Kota: दो साल पुराने इस मामले में बारां जिले के अंता थाना के तत्कालीन सीआई उमेश मेनारिया व कांस्टेबल रवि कुमार को कोर्ट ने 14 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के आदेश दिए.
Kota News: राजस्थान में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक दल लगातार प्रयासरत हैं. भ्रष्टाचार (Corruption) को लेकर कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है और आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है. भ्रष्टाचार के एक मामले में अब तक कोर्ट से बच रहा सीआई और कांस्टेबल आखिर जेल में पहुंच ही गया. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा देहात की टीम ने रिश्वत (Bribe) मांगने के दो साल पुराने मामले में बारां जिले के अंता थाना के तत्कालीन सीआई उमेश मेनारिया (Umesh Menaria) व कांस्टेबल रवि कुमार (Ravi Kumar) को गिरफ्तार कर दोनों को एसीबी कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने दोनों को 14 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के आदेश दिए.
इसी मामले में वकील साहब भी गए जेल
इस मामले में एसीबी की टीम ने 5 नवंबर को एक अन्य आरोपी अंता के वकील भगवान प्रसाद दाधीच को गिरफ्तार किया था. एडिशनल एसपी एसीबी कोटा देहात प्रेरणा शेखावत ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से रोक लगाई हुई थी, हाल ही में 4 नवंबर को गिरफ्तारी से रोक हटी थी, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया. सीआई उमेश मेनारिया वर्तमान में भरतपुर लाइन में तैनात हैं, जबकि कांस्टेबल रवि कुमार बूंदी जिले में तैनात है.
ये था मामला
जानकारी के अनुसार 2 नवंबर 2020 को परिवादी महेंद्र निवासी बोरखेड़ा ने एसीबी कोटा में शिकायत दी थी, जिसमें बताया था कि उसने 5 बीघा जमीन खरीदी थी. उस जमीन पर धनराज व हंसराज ने कब्जा कर रखा था. जमीन से कब्जा हटवाने के लिए वह अंता सीआई उमेश मेनारिया से मिला. उमेश ने मामले की जांच कांस्टेबल रवि कुमार को सौंप दी. रवि कुमार ने जमीन से कब्जा हटवाने के लिए सीआई उमेश मेनारिया के नाम से 60 हजार की डिमांड की.
एसीबी ने महेंद्र की शिकायत का सत्यापन करवाया, जिसमें आरोपी 50 हजार रुपए रिश्वत राशि अंता निवासी वकील भगवान प्रसाद दाधीच के माध्यम से लेने के लिए सहमत हुए. आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए एसीबी ने 3 नवंबर 2020 को जाल बिछाया, लेकिन आरोपियों को इसकी भनक लग गई, जिसके बाद उन्होंने रिश्वत लेने से मना कर दिया. इसके बाद एसीबी ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी थी, जैसे ही रोक हटी एसीबी ने उन्हें धर दबोचा.
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