Udaipur News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में गबन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. इसमें स्कूल के एक क्लर्क ने प्रिंसिपल के फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर किए और राज्य सरकार से जारी बजट की 1.62 करोड़ रुपए की राशि अपने खाते में ट्रांसफर कर ली. बड़ी बात तो यह है कि जिला कोष कार्यालय को इसकी भनक तक नहीं लगी. मामला बैंक की सजगता से खुला जब क्लर्क के खाते में एक साथ बड़े ट्रांजेक्शन देखे. बैंक ने विभाग को सूचना दी तक मामला सामने आया. मामला जिले के चितरी सीनियर स्कूल का है जिसमें वरिष्ठ सहायक (क्लर्क) हेमंत पाटीदार ने गबन किया. हेमंत के खिलाफ प्रिंसिपल ने रिपोर्ट दी जिस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.


दो बड़े ट्रांजेक्शन से हुआ शक
डूंगरपुर कोषाधिकारी जितेंद्र मीणा ने बताया कि गुरुवार को इस बाबू के खाते में एक ही दिन में 54-54 लाख के ट्रांजेक्शन किए गए. इसकी जानकारी बैंक ने दी. इसके बाद शाम करीब पांच बजे जांच शुरू की है जिसमें स्पष्ट रूप से फ्रॉड होना पाया गया. अतिरिक्त कलेक्टर हेमेन्द्र नागर ने भी इस मामले की पुष्टि कर जांच और कार्रवाई के आदेश जारी करने की बात कही. यह पूरा मामला चितरी सीनियर स्कूल का है. यहां पर एक जून को प्रवीण भट्ट ने संस्था प्रधान का कार्य संभाला था. नए संस्था प्रधान के आने के बाद ट्रेजरी से उनके नाम डोंगल जारी होता है और इसी के जरिए इनके डिजीटल हस्ताक्षर के बाद राशि निकाली जाती है.


दर्ज हुई एफआईआर
प्रिंसिपल प्रवीण भट्ट ने बताया, "31 मई को पुर्व प्रधानाचार्य महोदय लक्ष्मीकांत चौबीसा से प्रधानाचार्य राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चितरी के प्रधानाचार्य का चार्ज उनकी पदोन्नति सीबीईओ गंगरार चितौड ने लिया था. तीन जून को प्रधानाचार्य राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चितरी के आहरण वितरण अधिकार के लिए प्रस्ताव बनाकर सीबीईओ कार्यालय गलियाकोट में प्रस्तुत किया, क्योंकी मेरे स्वयं एवं साथ के अन्य कार्मिकों का अप्रैल 2022 का वेतन नहीं बना था."


प्रिंसिपल ने आगे बताया, "13 जून को मेरे डिटिजल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र (डी.एम.मी) के लिए मुझे स्कूल में कार्यरत वरिष्ट सहायक हेमन्त पाटीदार ने कहा कि आपके पास डिजिटल हस्ताक्षर के पावर आ गए हैं और आपके डिजिटल हस्ताक्षर में बनावा देता हूं. फिर हेमन्त पाटीदार ने किसी अन्य व्यक्ति से बातकर विडियो कॉल के जरीए मेरी ई के.वाई.सी करवाई. 13 जून को पे मैनेजर का पासवर्ड हेमन्त ने मुझे दिया. अगले मैंने उससे डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र (डी.एस.सी) की मांग की तो उसने कहा कि डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र में व्यस्त हूं इसलिए नहीं दे पाऊंगा. इसी प्रकार से कई दिनों तक टालता रहा. बाद में कोष कार्यालय और बैंक से कॉल आने पर ट्रांजेक्शन का पता चला. हेमंत ने मेरे डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी की."


ऐसे किया फ्रॉड
अधिकारियों का कहना है कि सरकार के हर महकमे का अपना-अपना बजट होता है. इसी तरह चितरी स्कूल का भी सरकार से एक बजट होता है. इसी के जरिए सभी कार्मिक की तनख्वाह एरियर आदि का भुगतान होता है. अप्रैल से पहले हर विभाग का एक बजट निश्चित था, लेकिन इसके बाद बजट को ओपन कर दिया. यानि राशि निकासी पर लगा एरियर हटा दिया गया. इसी सिस्टम का आरोपी ने फायदा उठाया और तनख्वाह व एरियर के साथ अन्य मद से महज 15 दिन में राशि निकाल ली.


ये भी पढ़ें


Jodhpur News: अब कहीं से भी लगा सकेंगे रेलवे टेंडर में बोली, जोधपुर में ई-ऑक्शन की प्रक्रिया शुरू


Jodhpur News: जोधपुर में रेलवे ने माल लदान में रचा कीर्तिमान, एक दिन में कमाए 5.89 करोड़ रुपये