Rajasthan News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य कर्मचारियों के लिए सौगात का पिटारा खोल दिया है. इस साल पुरानी पेंशन योजना की बहाली के बाद अब कार्मिकों को एक साल में दो बार पदोन्नति के अवसर मिलेंगे. इस प्रस्ताव पर सीएम गहलोत ने मंजूरी दे दी है. (डीपीसी) विभागीय पदोन्नति समिति की साल में दो बार होगी बैठक.
सीएम गहलोत ने दी मंजूरी
सीएम अशोक गहलोत ने साल में दो बार विभागीय पदोन्नति (डीपीसी) समिति की बैठक को आयोजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सीएम गहलोत के इस निर्णय से राज्य के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है. क्योंकि कर्मचारी संगठन लंबे समय से मांग कर रहे थे. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद अब विभागों में कार्मिकों के पद खाली नहीं रहेंगे. साथ ही सही समय पर काम भी पूर्ण हो पाएंगे इस प्रस्ताव के पास होने के बाद कार्मिकों में खुशी का माहौल है.
दो बार होगी बैठक
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिला मंत्री भंवरा राम जाखड़ ने बताया कि इस प्रस्ताव के बाद पहले डीपीसी की बैठक एक बार हुआ करती थी. अब साल में दो बार डीपीसी की बैठक आयोजित की जा सकती है जिससे कर्मचारियों के पद खाली नहीं रहेंगे.
हो सकेगा रिव्यू
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस निर्णय के बाद सभी विभागों में विभागीय पदोन्नति समिति की नियमित बैठक के बाद, बचे रिक्त पदों के लिए समिति की एक बैठक के बाद भी एक बैठक और आयोजित कर सकेगी. पुस्तकों के अनुसार सभी सेवाओं में पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों पर यदि नियमित डीपीसी 30 सितंबर से पूर्ण हो जाती हैं और डीपीसी के प्रस्ताव किसी पद सर्वांग के 15% से अधिक पद 31 दिसंबर तक फ्री हो जाते हैं तो ऐसे पदों को भरने के लिए डीपीसी अनुशंसाओं का रिव्यू किया जा सकेगा और उसी वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक डीपीसी कर भरा जा सकेगा.
समय रहते भरेंगी रिक्तियां
वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. अधिकांश विभागों में जून-जुलाई तक वार्षिक नियमित पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित कर ली जाती है. डीपीसी में 1 अप्रैल की स्थिति में पूरे वर्ष कि सभी संभावित रिक्तियों को शामिल किया जाता है. नियमित डीपीसी हो जाने के बाद भी सेवा के पृथक्कीकरण, अनिवार्य सेवानिवृत्ति स्वैच्छि सेवानिवृत्ति, निधन, पदोन्नित नहीं स्वीकार करने जैसे विभिन्न कारणों से रिक्तियां उत्पन्न हो जाती है. इन रिक्तियों को अब समय से भरा जा सकेगा. सीएम गहलोत द्वारा इस प्रस्ताव के अनुमोदन से उचित राज्य कार्मिकों को पदोन्नति के अधिक अवसर प्राप्त होंगे और विभागों को राज्य कार्य के लिए अधिकारियों- कर्मचारियों की उपलब्धता होगी.
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