Rajasthan News: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए स्वच्छ भारत अभियान का देशभर में काफी प्रबाव पड़ा है. अब पहले की तरह बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों में गंदगी नहीं दिखाई देती है. यही नहीं इस अभियान ने कई इनोवेशन भी दिए. हालांकि, इस अभियान में एक परेशानी अभी भी है कि कचरा फेंकने के लिए कचरा पात्र तो लगा दिए गए हैं, लेकिन मैनेजमेंट सही नहीं होने पर वह ओवर फ्लो होने के बाद भी वैसे के वैसे पड़े रहते हैं. इससे उस क्षेत्र में गंदगी रहती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने ऐसा डस्टबिन (dustbin) तैयार किया है, जो उसके लेवल तक भरने के बाद वह सफाईकर्मी को खाली करने का अलर्ट देगा.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्णाटक ने बताया कि विवि के इंजीनियरिंग कॉलेज सीटीएई में संचालित राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत छात्रों को इनोवेशन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर अपने विचारों को मूर्त रूप देने मे सहयोग करता है. इसी के तहत महाविद्यालय के इलेक्ट्रोनिक एंव संचार अभियांत्रिकी शाखा के छात्रों प्रियंका पाण्डेय, आदित्य कुमावत और सूर्य प्रताप सिंह भाटी ने विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत अग्रवाल के निर्देशन में “स्वस्थम-स्मार्ट अपषिष्ट प्रबंधन प्रणाली” नामक उपकरण बनाया है.
इंडियन पेटेंट कके लिए किया आवेदन
यह तकनीक इंटरनेट आफ थिग्ंस (आई.ओ.टी.) का प्रयोग करते हुए बनाया गया है. कचरा पात्र में एकत्रित हुए कचरे के उच्चतम भरने पर मैसेज के माध्यम से नगर-निगम अथवा जो भी इसके लिए आदेशित हैं, उन्हें तत्काल कचरा पात्र को खाली करने के लिए कहेगा. सिस्टम के बिन लेवल को 0 परसेंट से 100 परसेंट पर कही भी सेट किया जा सकता है. इससे जगह-जगह भरे हुए कचरा पात्र को न केवल यथा समय खाली किया जा सकेगा बल्कि कचरा फैलने की समस्या का समाधान और स्वचछ भारत मिशन की ओर एक अहम कदम होगा. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस नवाचार का इंडियन पेटेंट के लिये भी आवेदन कर दिया गया है.
कॉलेज में लगाए डस्टबिन मोबाइल से हो रही मॉनिटरिंग
सीटीएई महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ पी.के. सिंह ने बताया कि इस नवाचार के माध्यम से न केवल कॉलेज परिसर अपितु उदयपुर शहर में भी कचरा फैलने की समस्या की रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा. इस नवाचार से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में होने वाली गदंगी से मौसमी बीमारीयों से भी राहत मिलेगी. डॉ. सिंह ने बताया कि अभी इस प्रोजेक्ट की टेस्टिंग महाविद्यालय के तीन अलग अलग लोकेशन पर बिन्स(नोड्स) को एक किलोमीटर कि रेंज में इनस्टॉल करके किया गया है, जो एक सेंट्रल नोड कि सहायता से कंट्रोल हो रहा है. इसे एक्सटेंड करके नंबर ऑफ़ नोड्स बढ़ाये जा सकते हैं. सेंट्रल कंट्रोल यूनिट को लैपटॉप कि सहायता से जोड़ कर विभिन्न डस्टबिंस की जीपीएस लोकेशन और उनका फिल लेवल की मॉनिटरिंग की जाती है. ये सारी ऑब्जरवेशन यूजर के मोबाइल पर भी ट्रैक होती है.