Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में सियासी घमासान मचा हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थित विधायकों द्वारा विधायक दल की बैठक से पहले अपने इस्तीफे रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी को सौंपे जाने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य में गतिरोध को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन जयपुर में ही हैं. गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक राज्य में सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलों से नाराज हैं.
दरअसल कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात मुख्यमंत्री निवास में होनी थी, लेकिन इससे पहले ही गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक करने के बाद जोशी के आवास पर पहुंचे और अपने इस्तीफे उन्हें सौंप दिए. वहीं, खड़गे, माकन, गहलोत, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट एवं कुछ अन्य विधायक देर रात तक मुख्यमंत्री आवास में इंतजार करते रहे और बाकी विधायकों के नहीं आने से विधायक दल की बैठक आखिरकार नहीं हो सकी.
ऐसा माना जा रहा है कि पर्यवेक्षक अब राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए गहलोत के वफादार विधायकों को एक-एक करके उनसे मिलने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं. गहलोत के वफादारों ने दावा किया कि 90 से अधिक विधायक जोशी के आवास गए थे, लेकिन इस संख्या की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी. कुल 200 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के 108 विधायक हैं. पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है. इन इस्तीफों के बारे में जोशी के कार्यालय से अभी कुछ नहीं कहा गया है.
गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा के अलावा मंत्रियों धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी ने कांग्रेस पर्यवेक्षकों से मुलाकात की, लेकिन गतिरोध जारी रहा. सूत्रों ने बताया कि गहलोत के वफादार विधायकों की ओर से तीन शर्तें रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि गहलोत समर्थक विधायक चाहते हैं कि राज्य में नए मुख्यमंत्री के बारे में फैसला तब तक न किया जाए, जब तक कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव नहीं हो जाते.
सूत्रों के अनुसार, गहलोत समर्थक विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि नए मुख्यमंत्री के चयन में गहलोत की राय को तवज्जो दी जाए और यह उन विधायकों में से एक होना चाहिए, जो 2020 में पायलट समर्थकों द्वारा विद्रोह के दौरान सरकार बचाने के लिए खड़े रहे. राज्य विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने रविवार देर रात कहा कि हमने इस्तीफे दे दिए हैं. अब फैसला विधानसभा अध्यक्ष को करना है कि आगे क्या करना है.
इससे पहले, राज्य के आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने मीडिया से कहा कि हम अभी अपना इस्तीफा देकर आए हैं. यह पूछे जाने पर कि कितने विधायकों ने इस्तीफा दिया, उन्होंने कहा कि लगभग 100 विधायकों ने. मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव होने तक (गहलोत के उत्तराधिकारी को लेकर) कोई बात नहीं होगी.
जोशी के आवास से निकलते हुए डोटासरा ने कहा कि सब कुछ ठीक है. इस बीच महेश जोशी ने कहा, हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचा दी है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले जो फैसले होंगे, उनमें इन बातों का ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि विधायक चाहते हैं कि जो कांग्रेस अध्यक्ष एवं आलाकमान के प्रति निष्ठावान रहे हैं उनका पार्टी पूरा ध्यान रखे.
गौरतलब है कि राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ. इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है. गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की चर्चा है.
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