Rajasthan News: राजस्थान के नागौर जिले में, ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब क़स्बा कुचेरा के पास ही बासनी गांव की एक 23 साल की प्रसूता ने दो ऐसे बच्चों को जन्म दिया. जिनका जिस्म तो एक था मगर जान अलग-अलग. यह किसी कहानी या फ़िल्म का हिस्सा नही बल्कि क़ुदरत की ऐसी कहानी है जिसका साक्षात रूप नागौर में देखने को मिला.


इसे देखने पर आपको भी होगा हैरत, अचम्भे में पड़ जाएंगे आप भी जी... हां.  बिल्कुल सही. एक प्रसूता ने जिन दो नवजात को जन्म दिया. उनका शरीर सीने से जुड़ा हुआ है. बाकी सब-कुछ दो-दो हैं. दोनों भाईयों के सिर दो हैं. हाथ और पैर भी दो हैं.


दरअसल डॉक्टर्स की टीम को डिलीवरी से पहले ही सोनोग्राफी से असामान्य डिलीवरी का पता चल गया था. ऐसे में उन्होंने ऑपरेशन के लिए सफल डिलीवरी करवाई. जब बच्चे को देखा तो वे भी हेरान रह गए. फिलहाल बच्चे की मां और बच्चे दोनों सकुशल है. कुचेरा  के पास बासनी गांव की रहने वाली ललिता (23) पत्नी जितेंद्र नायक प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी.


स्थानीय  एमएस गायनोलॉजिस्ट ने प्रसूता को एडमिट किया और कुछ जांचें कराई तो पता चला कि यह असामान्य डिलीवरी है. ऐसे में गायनोलॉजिस्ट के साथ दूसरे गायनालॉजिस्ट , जनरल सर्जन  टीम भी मौजूद रही. जाँच परीक्षण में बाद महिला के ऑपरेशन के लिए डिलीवरी कराने का फैसला लिया. डिलीवरी भी हो गई मगर बच्चा असामान्य था. एक नहीं दो ट्विन बेबी का जन्म हुआ था.वह छाती से जुड़े हुए थे और बाकी पूरा शरीर अलग था. ऐसे में जन्म के बाद सबसे पहले चिकित्सा टीम ने भी बच्चों का चेकअप कराया.


जोधुपर AIIMS में MRI & CITY SCAN के बाद लेंगे आगे का निर्णय


फिलहाल मेड़ता से डॉक्टरों की टीम ने आगे के इलाज और कंसल्ट के लिए बच्चों को जोधपुर AIIMS रेफर कर दिया है. वहां स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम MRI, CITY SCAN सहित अन्य कई तरह की जांचें कराएगी उन जांच रिपोर्ट्स के बाद ही पता चल पाएगा कि दोनों बच्चों का शरीर सर्जरी के जरिए अलग-अलग किया जा सकेगा या नहीं.


इन्हें कहते हैं Thoracophagus Conjoined Twins


मेड़ता के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बलदेव सियाग बताते हैं कि ऐसी डिलीवरी को मेडिकल लेंगवेज में थोराकोपेगस (Thoracophagus) कहते हैं. यह कॉनज्वाइंट ट्विन (Conjoined Twins) है. इसमें आमने-सामने इनका फ्यूजन होता है. ऐसे 75 फीसदी मामलों में सिंगल हार्ट होता है. सेपरेशन करने में यहीं सबसे बड़ी दिक्कत होती है. कई बार लीवर और ऊपरी आंत एक हो सकता है.


डेढ़-दो लाख प्रसव में एक ऐसा होता है, ज्यादातर बच नहीं पाते


प्रसव करवाने वाले गायनोलॉजिस्ट डॉ. मनीष कुमार सैनी ने बताया कि बच्चे जुड़े हुए होने के कारण नार्मल प्रसव करवाना ना के बराबर था. बच्चे छाती से जुड़े हुए है. आगे MRI, City Scan के बाद पीडिएटिक सर्जन की टीम निर्णय लेगी कि क्या करना है. बच्चों का वजन 4 किलो है. डेढ़-दो लाख लोगों में ऐसा एक केस सामने आता है. ऐसे मामलों में बच्चों के बचने का चांस काफी कम होता है. ऐसा नहीं है कि ये बचते नहीं है, दुनिया में कई ऐसे बच्चे भी बच्चे हैं जो जी रहे हैं.


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