Jodhpur News: बाल विवाह (Child Marriage) की बेड़ियों में 20 साल के संघर्ष के बाद गुरुवार को जन्मदिन के दिन एक दुल्हन ने अपनी शादी रद्द कर दी. उसकी शादी एक साल की कम उम्र में उसके गांव में एक पारिवारिक अवसर पर हुई थी. हाल ही में, जब ससुराल वालों ने गौना के लिए दबाव बनाना शुरू किया, तो उसने दबाव में झुकने से इनकार कर दिया. उसने मदद के लिए सारथी ट्रस्ट से संपर्क किया.
एएनएम बनने की तैयारी कर रही थी
सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी कृति भारती ने बताया कि रेखा (21) की शादी महज एक साल की उम्र हो गई थी. उसकी शादी उसके ही गांव के एक लड़के से 2002 हुई थी. उसकी शादी दादा के देहांत की रस्मों के मौके पर हुई थी. भारती ने बताया कि उसके ससुराल वालों ने उस पर गौना संस्कार के लिए दबाव डाल रहा है और कुछ साल पहले उसे ससुराल भेज दिया. वह तब एएनएम बनने की तैयारी कर रही थी और वह नहीं चाहती थी कि उसका सपना टूट जाए. इसलिए, उसने इस शादी से इनकार कर दिया.उसके ससुराल वालों ने जाति पंचायत में उसे लाया और महिला के परिवार को शादी को आगे ना बढ़ाने के लिए 10 लाख रुपये का नकद जुर्माना मांगा और उन्हें धमकी भी दी.
बाल विवाह को रद्द करने के लिए गई फैमिली कोर्ट
रेखा ने सारथी ट्रस्ट द्वारा बाल विवाह को रद्द करने के बारे में सुना था. इसके बारे में और जानकारी एकत्र कर वह अपनी परेशानी बताने के लिए भारती से संपर्क किया. इसके बाद वह वैवाहिक संबंध से छुटकारा पाने के लिए और बाल विवाह को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट गई. गुरुवार को फैमिली कोर्ट के पीठासीन अधिकारी नं. 2 प्रदीप कुमार मोदी ने शादी को रद्द घोषित करने का आदेश दिया और रेखा को उसकी अवांछित वैवाहिक स्थिति से मुक्त कर दिया.
प्रदीप कुमार मोदी ने अपने आदेश में कहा कि एक सदी से बाल विवाह की बुराई को खत्म नहीं किया गया है. अब सभी को मिलकर बाल विवाह को खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए.अदालत के फैसले के बाद रेखा ने कहा कि यह एक सपने के सच होने जैसा है. उसने कहा कि अब वह एएनएम बनने के लिए अपने करियर पर ध्यान देंगी.
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