Kota News: कोटा की कर्मयोगी सेवा संस्थान की ओर स अंतिम संस्कार विभाग अंत्येष्टि मंत्रालय की स्थापना करने को लेकर अनूठा प्रदर्शन किया गया. संस्था द्वारा एक अर्थी को सजाकर उसे विभिन्न मार्गों से होते हुए जिला कलक्ट्री पहुंचे, इस दृश्य को जिसने भी देखा देखता ही रह गया, लोग कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे की आगे जो महिला अर्थी को कांधा दे रही है वह चश्मा लगाए हुए चल रही है और पीछे उनके पति चल रहे हैं, मामला जब सामने आया जब ये शव यात्रा जिला कलक्ट्री पहुंची.
 
निकाली शवयात्रा 
संस्थान की नयापुरा मुख्यालय से नयापुरा चौराहा, एमबीएस हॉस्पिटल रोड होते हुए अदालत चौराहा तक रैली निकाली गई. रैली में एंबुलेंस व अंतिम यात्रा वाहनों पर 'राम नाम सत्य है' की धुन बज रही थी. रैली के साथ अर्थी लेकर जिला कलेक्ट्री पर पहुंचे, जहां जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया, ज्ञापन में कहा कि ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के अंतर्गत देश में स्थापित विभिन्न विभागों की तर्ज पर अति आवश्यक अंतिम संस्कार विभाग की स्थापना की जानी चाहिए. इसके अंतर्गत मृत्यु उपरांत होने वाली आवश्यक व्यवस्थाओं एवं विविध संसाधनों को एक ही छत के नीचे सुव्यवस्थित तरीके से उपलब्ध कराया जाए. सरस डेयरी बूथ की तर्ज पर कस्बों एवं शहरों में अंतिम संस्कार सामग्री केंद्र मोक्ष धाम के आसपास ही स्थापित किए जाने चाहिए.


शहरों के सभी मुक्तिधाम हों आधुनिक
संस्थान ने कहा कि मुक्तिधाम पर सूखी लकड़ी, कंडे उपलब्ध करवाए जाने के लिए स्टोर रूम बनवाए जाने की आवश्यकता है. जहां से लोगों को वर्ष भर सूखी लकड़ी मुक्तिधाम पर ही प्राप्त हो सके. शहरों के सभी मुक्तिधाम को आधुनिक व्यवस्थाओं के साथ व्यवस्थित  करने की भी आवश्यकता है. सामाजिक परंपराओं के अनुरूप शव को स्नान कराने की व्यवस्था, मुक्तिधाम पर छायादार बैठने की व्यवस्था, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बड़े शहरों में विद्युत शवदाह गृह एलपीजी द्वारा चलित शवदाह गृह स्थापित होने चाहिए.
 
मरने वाले को मिले पूरा सम्मान
इलाज के दौरान रात्रि में हॉस्पिटल में मृत्यु होने पर डेड बॉडी को तुरंत प्रभाव से वार्ड से बाहर करवा दिया जाता है. ऐसे शव को अस्पताल में भी रखने की व्यवस्था निश्चित होनी चाहिए. मृत पैदा होने वाली शिशु, जन्म लेते ही कुछ समय बाद मरने वाले बच्चों को, दफनाने के स्थल, मुक्तिधाम पर सुव्यवस्थित फुलवारी युक्त होने चाहिए. वर्तमान में मुक्तिधाम पर परिजन, बच्चे को दफनाने के बाद पत्थर एवं कटीली झाड़ियां रख कर चले जाते हैं. बाद में शव को सूअर और कुत्ते निकालकर नोच कर घसीटते रहते हैं या तांत्रिक निकालकर ले जाते हैं. इस प्रकार की अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए सुव्यवस्थित व्यवस्था निर्धारित करनी चाहिए. आर्थिक अभाव में असमर्थ लोगों के परिजनों अस्थियों को रखने के लिए शमशान पर ही विशेष अस्थि कलश मंदिर बनवाया जाने चाहिए.


विदेशों की तर्ज पर बहुमंजिला हों शमशान-कब्रिस्तान
संस्थान से जुड़े लोगों ने कहा कि मृत्यु उपरांत नेत्रदान, देहदान, अंगदान करने एवं समाजों के द्वारा किए जाने वाले मृत्यु भोज को रोकने के लिए प्रेरित करने का कार्य भी विभाग द्वारा ही संचालित किया जाना चाहिए. देश के सभी मुक्तिधाम एवं कब्रिस्तान का कंप्यूटरीकृत विवरण, अंतिम संस्कार विभाग के पास होना चाहिए. शमशान कब्रिस्तान के विकास विस्तार एवं आवश्यकता अनुसार नए मुक्तिधाम कब्रिस्तान का निर्धारण मंत्रालय द्वारा ही निर्धारित होना चाहिए. देश में मुक्तिधाम एवं कब्रिस्तान के लिए स्थान का अभाव होने की स्थिति में विदेशों की तर्ज पर बहुमंजिला शमशान कब्रिस्तान विकसित किए जाने चाहिए. राजाराम कर्मयोगी ने बताया कि जल्दी ही संस्थान द्वारा देश के सभी सांसदों को अंतिम संस्कार विभाग अंत्येष्टि मंत्रालय की मांग को लेकर पत्र जारी किए जाएंगे. उनसे संसद में इस मांग को उठाने की मांग की जाएगी.


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