Rajasthan News: सूर्य ग्रहण में भी बंद रहते हैं इन 7 पीठों के मंदिरों के कपाट, जानिए- क्या है इसकी वजह
राजसमंद जिले के श्रीनाथ की नगरी नाथद्वार में प्रसिद्ध श्री नाथ प्रभु का मंदिर है. पुष्टि मार्गीय वल्लभ संप्रदाय के सभी मंदिर सूर्य ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं.
Udaipur News: दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहा. इस सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व अलग है तो धार्मिक महत्व अलग. धार्मिक महत्व को देखे तो सूतक के दिन दोष के कारण कई मंदिर बंद हो जाते हैं, जिससे भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाते, लेकिन देश के 7 पीठ ऐसे हैं, जिनसे जुड़े मंदिर सूतक के दौरान बंद नहीं होते और भक्तों को दर्शन देते हैं. हुआ भी यही, 25 अक्टूबर को ग्रहण के कारण मंदिर बंद रहे. वहीं यह मंदिर खुले रहे और भक्तों ने भगवान के दर्शन किए. यह मंदिर है ठाकुर जी यानी भगवान कृष्ण के, आइए जानते हैं क्या कारण है कि मंदिर खुले रहते हैं.
इसलिए बंद नहीं होते
उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले के श्रीनाथ की नगरी नाथद्वार में प्रसिद्ध श्री नाथ प्रभु का मंदिर है. मंदिर से जुड़े गिरीश व्यास बताते हैं कि पुष्टि मार्गीय वल्लभ संप्रदाय के सभी मंदिर सूर्य ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं. इसके पीछे कारण है कि संप्रदाय के देशभर में 7 पीठ हैं और प्रधान पीठ नाथद्वार मंदिर. यहां ठाकुरजी के बाल स्वरूप की सेवा-पूजा की जाती है. इसी कारण सभी मंदिरों को हवेली ही कहा जाता है. मान्यता है कि ठाकुरजी निकुंज नायक है, सूर्यग्रहण का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. पूरा संसार उनके ही आशीर्वाद से है. ऐसे में सूर्यग्रहण के दोष या सूतक के कारण मंदिर बंद हो जाएगा तो भक्तों की रक्षा कैसी होगी. भक्त यहां आते हैं और भगवान दर्शन देते हैं ताकि सभी दोषों से मुक्त हो.
यह हैं 7 पीठ
सातों मंदिर की बात करें तो सूरत में बाल कृष्णलाल जी, कोटा में मथरेश जी, कामवन में गोकुल चंद्र जी, कामवन में मदन मोहन जी, नाथद्वारा में विठ्ठल नाथ जी, कांकरोली में द्वारकाधिश जी और गोकुल में गोकुल चंद्र जी की पीठ है. इन पीठों से जुड़े कई मंदिर है जो सूर्यग्रहण के दौरान भी बंद नहीं होते हैं.
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