Encroachment Removed in Bundi: राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) में भी अब बुलडोजर चलना शुरू हो गया है. यहां जिला कलेक्टर रेणु जयपाल (Renu Jaipal) की सख्ती के बाद 15 किलोमीटर लंबे जैत सागर नाले पर किए गए अतिक्रमण को बुलडोजर के माध्यम से हटाया जा रहा है. नगर परिषद के अतिक्रमण दस्ते की ओर से नाले पर किए गए अतिक्रमण को हटाने का काम हो रहा है. इससे पहले प्रशासन ने यहां सर्वे करवाया था, जिसमें बड़ी संख्या में नाले पर अतिक्रमण पाए गए थे, जिन्हें चिन्हित कर प्रशासन ने उन्हें नोटिस दिया और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की.


इस बीच मानसून नजदीक है, ऐसे में प्रशासन की तरफ से शुरू की गई नाले पर अतिक्रमण की कार्रवाई पूरी नहीं हो पाएगी. अतिक्रमण के साथ-साथ युद्ध स्तर पर जैत सागर नाले में सफाई भी करवाई जा रही है. बड़ी मात्रा में मलबा निकाला जा रहा है. प्रशासन का कहना है कि जिन अतिक्रमण को चिन्हित किया गया है, उसके लिए कोशिश की जा रही है कि तय समय पर उन्हें हटाकर कार्रवाई पूरी की जाए, ताकि हर साल बनने वाले बाढ़ के हालात इस बार न हों.


बारिश के बाद लबालब हो जाती है जैत सागर झील


शहर के मध्य जैत सागर झील हर साल भारी बारिश होने के बाद लबालब हो जाती है. ऐसे में प्रशासन झील के सभी गेट को खोल कर पानी की निकासी करता है. उसी से सटे करीब 15 किलोमीटर लंबा जैत सागर नाला उफान पर आ जाता है. यह नाला शहर की कई कॉलोनियों से होते हुए मांगली नदी में जाकर मिलता है. नाले पर अतिक्रमण होने के चलते सड़कों पर उफान देखने को मिलता है और करीब आधा दर्जन रास्ते बंद हो जाते हैं. शहर के बीचो-बीच इन रास्तों से आवाजाही रुक जाती है. यह हालात 4 से 5 दिन तक बने रहते हैं. नाले के उफान से सड़कों पर लोगों का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाता है.


नाले की करवाई जा रही सफाई 


जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने बताया कि अतिक्रमण को चिन्हित किया गया है. नाले की सफाई करवाई जा रही है, ताकि मूल रूप से नाला अपने स्वरूप में आ सके. भारी बारिश होने के कारण जैत सागर नाला उफान पर आते ही हर साल 20 हजार लोग अतिक्रमण के चलते बाढ़ से प्रभावित हो जाते हैं. नाले पर अतिक्रमण होने के कारण कई जगहों से संकरा हो चुका है. नाला करीब 75 फीट चौड़ा और 10 फीट गहरा था, जो अतिक्रमण होते-होते करीब 10 फीट तो कहीं 2 फीट ही रह गया था.


कई कॉलोनियों में घुस जाता है पानी


इसके कारण नाले का पानी उफान के साथ सड़कों पर आता है और शहर की जवाहर कॉलोनी, महावीर कॉलोनी, बहादुर सिंह सर्किल, सहित कई कॉलोनियों के रास्ते बंद होने के साथ ही घरों में पानी घुस जाता है. यह हालात लगातार बारिश जारी होने के साथ बने रहते हैं. घरों में पानी घुस जाने के चलते लोगों को नुकसान भी उठाना पड़ता है. लोग घरो में रहने को मजबूर हो जाते हैं. पिछले तीन सालों से हालत और भी बिगड़ गए थे. जैतसागर नाले के उफान के कारण हो रही परेशानी के चलते लोगों ने प्रशासन पर ढिलाई का आरोप लगाया था.


लोगों ने प्रशासन के खिलाफ खोल दिया था मोर्चा


साथ ही लोगों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अतिक्रमण मुक्त अभियान समिति बनाकर आंदोलन करना शुरू कर दिया था. कभी जाम तो कभी धरना दिया गया. आंदोलन उग्र हुआ तो नगर परिषद ने जिला कलेक्टर के आदेश पर नाले का सर्वे करवाकर अतिक्रमण चिह्नित करने के निर्देश दे दिए. नगर परिषद की टीम ने 1 सप्ताह के भीतर नाले का सर्वे कर अतिक्रमण को चिन्हित भी किया, लेकिन अतिक्रमण हट नहीं पाया. करीब दो सालों तक सर्वे किया गया और अतिक्रमण नहीं हटा तो इस साल भी मानसून शुरू होने के साथ ही लोगों को फिर से बाहर का डर सताने लगा.


डीएम बोले- बरसात की पानी में डूबने नहीं देंगे


आक्रोशित लोगों ने एक सप्ताह पूर्व कलेक्ट्रेट के बाहर धरना दिया और अतिक्रमण को हटाने की मांग की. इस पर जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने नगर परिषद को निर्देश दिए. जिला कलेक्टर रेनू जयपाल प्रशासनिक अधिकारियों के साथ खुद भी नाले का अतिक्रमण देखने पहुंचीं, जहां पर लोगों ने जमकर नगर परिषद के अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई. ऐसे में जिला कलेक्टर ने स्थानीय लोगों को विश्वास दिलाया कि वह इस बार उन्हें बरसात के पानी में डूबने नहीं देंगी और जल्दी अतिक्रमण से मुक्त कर दिया जाएगा. जिला कलेक्टर के दौरे के बाद प्रशासन ने चिन्हित किए गए अतिक्रमण को हटाना शुरू कर दिया है.


अतिक्रमण हटा तो लोगों ने जताई खुशी   


अतिक्रमण को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू होने पर स्थानीय लोगों ने खुशी प्रकट करते हुए जिला कलेक्टर की इस सार्थक पहल का स्वागत किया है. वहीं जैत सागर नाला अतिक्रमण मुक्ति अभियान संघर्ष समिति के संयोजक रुपेश शर्मा ने कहा कि साढ़े तीन सालों से अनवरत जन आंदोलन के बाद जिला प्रशासन बूंदी ने जैत सागर बरसाती नाले से अतिक्रमण हटाने की जो सार्थक पहल शुरू की है, यह पहल आगे नाले के सिरे से अंत तक के सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त कर इसे अपने मूल स्वरूप में लंबा, चौड़ा और गहरा बनाए जाने तक जारी रहना चाहिए. इससे बूंदी नगर के बड़े भू-भाग में निवास करने वाले हजारों लोगों को हर साल बारिश के पानी की आने से बाढ़ की स्थिति से होने वाली परेशानी से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सकेगी.


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